आज इस कद्र आलिंगन में थे उनकी
कि निकहत ए इत्र मुझसे आ रही हैं
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आना तो बस उनमें छुपे जज्बातों को समझने
CA student 😊😎
मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती
तुम्हें खो कर,
खुद से रूठना नहीं चाहती
खुद से रुठूं,
इस क़दर मैं टूटना नहीं चाहती
टूट कर तुम्हारे हाथों,
मैं मरना नहीं चाहती
इसलिए मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती-
कभी जिनके साथ रातें जगा करती थी हमारी
आज उनकी यादों में रातें कट रही है हमारी-
काश मेरी मर्जी चली होती तुम पर.... तो शायद आज तुम इतने टूटे नहीं होते, काश मेरा प्यार देखा होता तुमने.... तो शायद आज मैं इतनी मजबूर नहीं होती, काश मेरा हक़ होता तुम पर.... तो शायद तुम बस मेरे होते बस मेरे, काश मेरे ये सारे काश सच होते... तो शायद आज मुझे तुम्हें किसी से मांगना नहीं पड़ता केवल तुम्हें छोड़ कर
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पास हो कर भी दूर था वो...
अरे... इश्क़ में नहीं, गुरुर में था वो
अप्रभा-
मेरी वो मुस्कान वापिस ला सकती हो क्या.... जो उसके साथ आती है
वो खिल खिलाती हुई 'अप्रभा' वापिस कर सकती हो... जो उसके साथ हस्ती हैं
वो सुकून वापिस कर सकती हो क्या... जो उसके कंधे पर सर रख मिलती हैं
तुम मुझसे मेरे मुस्कुराने की वजह छीन कर पूछती हो.... कि क्या चाहती हूँ मैं ??-
When you can understand the silence of each other, love will automatically be portrait
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क्या याद है तुमको, वो मेरे संग बितायी हुई रातें
क्या याद है तुमको, वो मेरी बिन कही गई बातें
तो फिर क्यों... याद है मुझको, वो सारी मुलाकातें
और क्यों याद नहीं तुमको, वो मेरी आंसुओं की बरसातें-
बारिश बाहर भी हो रही थी और अंदर भी
बाहर की बारिश को तुमने महसूस किया
और अंदर की बारिश को मैंने पी लिया-