अपराजिता   (अपराजिता की भावना)
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Joined 12 March 2019


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तू मेरा सब कुछ था

तेरे बिना जीना जैसे
जीवन लगता तुछ था

तेरे हर ख़्वाहिश मेरे
लिए बहुत कुछ था

तेरे आंखों के जाम में
बसा नशा हुछ का था

_अपराजिता की भावना



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जज़्बा ही तो हर मंज़िल का होता आधार !
इसके बिना कठिन रास्ता हो न सकता पार !!

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रोज मेरे साथ ही जगती रही

मेरे आँसू को देख -देख कर
मौन हो जख़्म मेरे सिलती रही

मेरी तनहाई की साथी बन
मेरे ही संग -संग चलती रही

चाँदनी की शीतलता में मेरे ही
घावो पर मरहम लगाती रही

किसी से इश्क़ मत करना क्यों
तू ही तड़प-तड़प कर मरती रही

_अपराजिता की भावना


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फोन हर व्यक्ति का एक comfort जोन
इसके बिना जीवन हो जाए एकदम बोर
जान से ज्यादा फोन की फिक्र रहती है
कितने सारे राज छिपाए बैठा हैं ये फोन
कितने रूप छिपा रखे फोन में यहाँ हर
सोशल पर असली पहचान बताता कौन


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हमको अपना बना लीजिए

कर रहे है तेरा ही इंतज़ार
इश्क़ में दीवाना बना लीजिए

ख़फा होकर भी ख़फा नहीं है
एक बार तो पुकारना चाहिए

इश्क़ में रूठा मनाना चलता है
तुम हमसे मत अनबना कीजिए

कहीं बिखर न जाए टूट कर
अपने इश्क़ में मुझे फना कीजिए

_अपराजिता की भावना



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ख़ुद से हो गए अनजान तेरे कारण
अपनो के बीच हो गए बेईमान तेरे कारण

तुम आए जिंदगी में इश्क़ की बहार बनकर
महक उठे मेरे सारे अरमान तेरे कारण

वक्त की गर्त में लिपट सोए थे सारे ख़्वाब
हो गयी हर ख़ुशी जवान तेरे कारण

आ गया था जिंदगी में पतझड़ का मौसम
बना ली खुद की पहचान तेरे कारण

ख़ुद को समझ ख़ुद से ख़ुद को चाहने लगे
दूर होता गया अज्ञान तेरे कारण

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मेरे दिल में करना होगा बसर धीरे -धीरे

बढ़ता जा चाहत की राह पर तू तेरी
चाहत के बीच से बनेगा अंकुर धीरे - धीरे

जिंदगी तो तुझ संग ही बितानी है मुझे
चले दे मोहब्बत का सफ़र धीरे - धीरे

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तुझ पर पैनी नज़र रखते हैं

तुम दूर हो तो क्या हुआ
तब भी तेरी राह तकते हैं

रात होते ही चाँद में हम
तेरा अक्स देखा करते हैं

चाँद को तु समझकर दिल
की बात तुझ तक भेजते हैं

कब तक ये जुदाई लिखी हैं
मुझे तनहाई के घेरे घेरते हैं

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खुदा ने नारी को नवाजा है नज़ाकत से
धरा पर तुझे भेजा है दे कर हिदायत से

मेरी बड़ी अनमोल कलाकृति है तू
जहाँ में खुद को रखना तू हिफाज़त से


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तेरा मेरा मिलन नहीं होता

इश्क़ की जमी पर बोए बीज
के फूलों का गुलशन नहीं होता


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