एक दोस्त है पक्का से, जिससे रिश्ता है कुछ कच्चा सा,
जैसे एक झूठ है आधा सच्चा सा.......
पाया जिसे है नही फिर भी खोने से डरता है,
अपना वो है नही फिर भी अपना सा लगता है..।।
उससे मिलने का भी दिल बहुत करता है,
कहीं फिर मिलकर खो ना दू बस यही लगता है..।।
बताने का तो बहुत मन करता है कि वो कितना खास है,
बस फिर लगता है अपने जैसे कई उसके पास है...।।
जैसे एक झूठ है आधा सच्चा सा.......
एक दोस्त है पक्का से, जिससे रिश्ता है कुछ कच्चा सा...!!
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काश की हम भी घर पर होते, थक कर एक जगह बैठे होते,
10 घण्टे की नींद के बाद, थोड़ा और सोना है कह रहे होते।
हमारी भी फरमाइश होती, हमारी भी ज़िद होती,
दिन तो ऐसे ही गुजरता, पर शाम हसीन होती।
शाम को बैठ कर पुराने किस्से दोहराते,
जिनके सुनकर कई बार हँस चुके, एक बार और मुस्कुराते।
दुनिया में हलचल होती, पर दिल मे सुकून होता,
अगली सुबह और खूबसूरत होगी, मन मे यकीन होता।
हर गुजराती शाम के साथ, सर पर एक हाथ होता,
काश की हम भी घर होते, हर दिन हसीन होता।।-
तेरे होने से मेरे शब्दों को रफ़्तार मिलती है,
तेरे आने से तो कलम खुद-ब-खुद चलती है।।-
छुआछूत बस मर्दो तक ही सीमित रह गयी,
नही तो आज कितनी लडकिया सुरक्षित होती।।-
जहाँ देखो वह नकाब से ढके चेहरे है,
ये भगवान की कोई मर्जी या हमारे गुनाह ही हमे घेरे है।।-
वर्ष भर जिस दिन का इंतज़ार किया,
आज उस दिन चुप बैठे है,
हे! महावीर तेरे भक्त, परेशान हुए बैठे है,
कुछ तो करुणा दिखाओ,
हम फिर से जश्न मनाये,
तेरे जयकार लगाते हुए,तेरे दर पर आए।।-
बुरा ही सही, वक़्त है गुजर जाएगा,
किसी का साथ छुटेगा,
तो किसी का साथ याद आएगा,
किसको पता कौन कहा तक जाएगा,
कोई किसी से last बार मिलेगा,
या कभी मिल ही नही पाएगा,
ना कोई किसी के साथ है, ना कोई पास है,
बस है तो अपनेपन का अहसास है,
यूंही वक़्त निकाल कर कर लिया करो अपनो से बातें,
वक़्त गुजर जाता है बस रह जाती है यादें।-
सूनी है सारी गालियां,
सन्नाटे है चारों ओर,
ना जाने कब बीतेगा,
Lockdown का ये दौर!!!-