Aparna Mishra   (Yatri)
159 Followers · 22 Following

Sinner
Joined 20 January 2019


Sinner
Joined 20 January 2019
2 APR AT 14:29

खुद से विश्वास डिगे
तब हम कहां जाते हैं?
जब सब नीचे ही गिरे
हर कोशिश विफल लगे
तब हम कहां जाते हैं?
जब न होते हुए भी दूरी दिखे
हर बात अधूरी लगे
तब हम कहां जाते हैं?
जब लिखना भी नाकाम हो
जब ख्यालों का न कोई नाम हो
तब हम कहां जाते हैं?

-


26 DEC 2023 AT 23:19

Are the reality
The reality of my soul
The proof that
My intentions aren't foul
But I don't know
How to put it into words
So I keep them to myself
And live with those painful swords

-


26 NOV 2023 AT 15:24

No matter how much you try
At the end you'll have to cry
All the efforts go in vain
When you give them pain
You try to mend things down
But the situations always create frown
It hardly matters how much you give
The end results are what you have to live
But still keep the hopes high
You'll one day definitely take a happy sigh
Things will get better someday
Someday you'll be handling everything
with a positive ray...

-


25 NOV 2023 AT 23:46

सुनाई देता है मुझे एक शोर
चीखते चिल्लाते जज्बातों का
थकान से भरी बे नींद रातों का
कुछ कहना है जो अनकहा रह गया
कुछ जो बचा था आंसुओं में बह गया
लिखने की चाहत खोती नज़र आती है
फिर भी लिखने की आस लग जाती है
सोचना समझना अब परे सा लगता है
मानो जैसे समय पंख लगाए उड़ता है
अभी का लेख भी कश्मकश से है भरा
न जाने क्या है मन में जो है डरा
खालीपन से भरा है कुछ ऐसे
कोरा कागज़ हो मन जैसे
कही खो गई हूं मैं इस अनचाही चुप्पी में
मुझे ढूंढने जल्दी ही आएगी नई भोर
तब तक दीवारों की इस चुप्पी में
सुनती रहूंगी मैं सारे शोर...

-


20 SEP 2023 AT 22:59

कभी न रुकने वाली मैं
आज ठहर गई हूं
कभी न चुप रहने वाली मैं
आज सहम गई हूं
किसी के साथ की चाहत न रखने वाली मैं
आज किसी को कहने के लिए तरस गई हूं
किसी के समझने का इंतजार न करने वाली मैं
अपने जज्बात समझाने से थक गई हूं
हमेशा आस से भरी हुई मैं
आज रिक्तता में रम गई हूं
लिख कर मन हल्का करने वाली मैं
आज लिखने में भी थम गई हूं
न जाने कौन है ये यात्री
जो खुद ही कही खो गई हूं
न जाने कितनी गलत कितनी सही हूं
बस इतना है पता कि
यकीनन मैं... मैं नहीं हूं...

-


3 MAY 2023 AT 21:58

संघर्ष को लक्षय से बड़ा बना
सपनों को सच्चाई बनाने पर अड़ा है
ढलते सूरज के आगे देखो
उगता हुआ सितारा खड़ा है

-


27 APR 2023 AT 22:39

अजीब कश्मश है
किसी परिस्थिति पर
नहीं कोई बस है
लगता है आगे बढ़ कर
फिर शुरुआत पर अटक गए हैं
न जाने क्यों हम
क्या करे क्या नहीं
के बीच फंस गए हैं
कुछ हासिल करने निकले थे घर से दूर
अब कौन सी राह चुने
सोचने पर हो गए हैं मजबूर
हार जीत का डर नहीं है
बस सवाल हैं जिनके जवाब की
कोई खबर नहीं है
हौसला अभी बाकी है बहुत
पर भविष्य की चिंता भी बड़ी है
लेकिन खुद पर विश्वास है
शासन हमारा होगा इसकी पूरी आस है
इन रुकावटों को माना जीत की कड़ी है
बस कुछ दूर और चल ‘यात्री’
आगे दिखेगा तुझे कि
तेरे लिए सफलता खड़ी है!

-


18 APR 2023 AT 20:43

दोस्ती में एक सिला उसने ये भी किया
मैं नाराज़ थी उससे और उसने नाराज़ रहने दिया

-


16 APR 2023 AT 17:15

I'm not anyone's first choice
One said in a doubtful voice
The other smiled a bit
Acting cold, asked her to sit
And then a story she began
Down the memory lane she ran
In anyone's priority line
Being on top is not fine
As one day they'll choose someone
Yes you'll be there, but not the number one
With time things will be changed
And only situations will be blamed
So it's better that you understand your place
And don't fall into the race
Just be wherever you are my chick
Don't expect even a little bit
You just enjoy your company
As rainy days will also turn sunny
Things will fall in place one day
Till then you yourself be your bae!

-


7 APR 2023 AT 23:16

क्या लिखूँ
क्यूँ लिखूँ
कौन पढ़ेगा
कोई है जो समझेगा
अब खुद से बाते कहने में भी झिझक है
जैसे सब मेरा पर नहीं किसी पर हक है
बीच मझधार में नाव फंसी हो जैसे
मुस्कान आँसू के बीच खड़ी हूँ वैसे
न जाने क्यों अभिव्यक्ती का मन नहीं करता
जितना कोशिश करो जी नहीं भरता
थकान लग रही है
रोज़ के सवाल वही है
कब तक ऐसे ही रहना होगा
क्या बिन बोले ही सब सहना होगा
किसी साथ की उम्मीद नहीं है
जो जैसा है सब सही है
तो क्यों यात्री ऐसे परेशान है
एक मुस्कान के साथ आगे बढ़ना आसान है
तो क्यों सोचूँ
क्या लिखूँ
क्यों लिखूँ

-


Fetching Aparna Mishra Quotes