पहले हर रोज शिरकत करती थी
आजकल तुम्हारी यादें भी
दिल की गलियों तक आती नहीं,
और, धुलकर देख लिया है कई मर्तबा
इक तेरे परफ्यूम की खुशबू है
जो हमारे कपड़ों से जाती ही नहीं;-
राधे राधे 💙 जय श्री कृष्णा 💙
Proud to be an INDIAN
🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏🇮🇳🙏
❤️Th... read more
सिर्फ हाथों तक रहे
तुम लकीरों में भी साथ होते तो बात और होती,
दूर से देखकर मुस्कुराना दस्तूर है दुनिया का
तुम ग़र पढ़ लेते इन आँखों को तो बात और होती,
लफ़्ज़ों में तो रखता है हर कोई
तुम मुझे अपनी शायरी में बसाते तो बात और होती,
अपने प्रेम का निष्कर्ष निकालते हैं अक्सर सभी
तुम मुझे उद्देश्य बनाते तो बात और होती,
चाँद तोड़कर लाने की बात करता है हर कोई
तुम मुझे धरती के फूलों से ही सजाते तो बात और होती,
शोरगुल से भरी इस दुनिया में
तुम ग़र पढ़ पाते मेरी ख़ामोशी तो बात और होती,
और
वैसे तेरी "ना" में भी बेहद सुकून है
पर तुम ग़र "हाँ" कहते तो बात और होती;-
गंगा और सरस्वती के जल-सा साथ था अपना,
साथ चल रहे थे लेकिन कभी मिले नहीं;-
कुछ तुच्छ प्रशंसा प्राप्त करने हेतु, अपने प्रेम का यूं समाज में, शोर कर देने वाले युग में;
तुम पढ़ना सिर्फ "मेरा मौन"-
बेइंतहां इश्क के बदले अगर मिले रुसवाई,
तो बशर करना बेशक मुश्किल-सा होता है;
गर कच्ची उमरों में बिखर जाये ख्वाब सारे,
तो ना-उम्मीदी के बादल में,
उम्मीद का सूरज ढूंढना मुश्क़िल-सा होता है;-
ना जाने किसकी इनायत का असर है हमपे,
कई दिनों बाद ज़िन्दगी ख़ुशनुमा-सी लग रही;-
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तेरी चाहत में बुने ख़्वाबों को,
पायल की बिखरी घुंघरुओं-सा संजोया है मैंने।
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