Aparna Kashyap   (Aparna Kashyap ✍️🦋)
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Joined 24 April 2020


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19 FEB 2023 AT 22:31

पहले हर रोज शिरकत करती थी
आजकल तुम्हारी यादें भी
दिल की गलियों तक आती नहीं,

और, धुलकर देख लिया है कई मर्तबा
इक तेरे परफ्यूम की खुशबू है
जो हमारे कपड़ों से जाती ही नहीं;

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14 FEB 2023 AT 16:10

सिर्फ हाथों तक रहे
तुम लकीरों में भी साथ होते तो बात और होती,
दूर से देखकर मुस्कुराना दस्तूर है दुनिया का
तुम ग़र पढ़ लेते इन आँखों को तो बात और होती,
लफ़्ज़ों में तो रखता है हर कोई
तुम मुझे अपनी शायरी में बसाते तो बात और होती,
अपने प्रेम का निष्कर्ष निकालते हैं अक्सर सभी
तुम मुझे उद्देश्य बनाते तो बात और होती,
चाँद तोड़कर लाने की बात करता है हर कोई
तुम मुझे धरती के फूलों से ही सजाते तो बात और होती,
शोरगुल से भरी इस दुनिया में
तुम ग़र पढ़ पाते मेरी ख़ामोशी तो बात और होती,
और
वैसे तेरी "ना" में भी बेहद सुकून है
पर तुम ग़र "हाँ" कहते तो बात और होती;

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13 NOV 2022 AT 13:29

मेरी नजरों में तुम....
(READ IN CAPTION)

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28 FEB 2022 AT 3:33

गंगा और सरस्वती के जल-सा साथ था अपना,

साथ चल रहे थे लेकिन कभी मिले नहीं;

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25 FEB 2022 AT 2:58

कुछ तुच्छ प्रशंसा प्राप्त करने हेतु, अपने प्रेम का यूं समाज में, शोर कर देने वाले युग में;

तुम पढ़ना सिर्फ "मेरा मौन"

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23 FEB 2022 AT 1:23

बेइंतहां इश्क के बदले अगर मिले रुसवाई,
तो बशर करना बेशक मुश्किल-सा होता है;

गर कच्ची उमरों में बिखर जाये ख्वाब सारे,
तो ना-उम्मीदी के बादल में,
उम्मीद का सूरज ढूंढना मुश्क़िल-सा होता है;

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22 FEB 2022 AT 1:46

ना जाने किसकी इनायत का असर है हमपे,

कई दिनों बाद ज़िन्दगी ख़ुशनुमा-सी लग रही;

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21 FEB 2022 AT 0:02

तुम!

(कैप्शन में पढ़ें)

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19 FEB 2022 AT 20:48

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तेरी चाहत में बुने ख़्वाबों को,
पायल की बिखरी घुंघरुओं-सा संजोया है मैंने।
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18 FEB 2022 AT 21:17

वो और उसका एहसास!

(Caption में पढ़ें)

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