सोच रही हूँ कुछ "किस्से" कहूँ।
पर "किस से" कहूँ, ये सोच रही हूँ ॥-
Every end is a new beginning..🥳
सिर्फ सोचने से कहाँ मिलते हैं तमन्नाओ के शहर,
चलने की जिद्द भी जरूरी है मंजिलों के लिए....-
भूख तो रिश्ते को भी लगती है
अगर वक्त रहते वक्त- वक्त पर
वक्त, अपनापन और प्यार ना परोसा जाये,
तो फिर रिश्ता कोई सा भी हो,
खत्म हो ही जाता है......-
जो अपनी गरीबी से दोस्ती कर लेते हैं,
वे कभी भी मेंहगे तौफों की ख्वाहिश नहीं करते...-
आँखें पढ़ो और जानो हमारी रजा क्या है,
हर बात अगर लफ़्ज़ों से हो फिर मजा क्या है..-
2000/- के नोट होतें तो बैंक से बदलवा लेते,
लेकिन जो लोग बदल गए उन्हें कहाँ से बदलवाये...-
ये जरूरी नहीं कि पुनर्जन्म के लिए शरीर ही त्यागा जाए,
कई बार विचारों में परिवर्तन से भी पुनर्जन्म हो जाता है..-
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम,
असल में उन्हीं से रिश्ते गहरे होते हैं...
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जहां कर्म है, वहीं कान्हा हैं।
अच्छा करो तो साथ,
बुरा करो तो सामने॥-