APARNA CHAUBEY   ("अपर्णा चौबे ♡)
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Joined 30 December 2021


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20 OCT AT 22:31

दिए रंगोली की जगमगाहट जता रही है
आज दिवाली की शानदार खिलखिलाहट

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15 OCT AT 22:22

"वसंत आ गया लेकिन कोई उत्कंठा नहीं"

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11 OCT AT 22:20

लिखना था तेरे कल के बारे में
पढ़ना था तेरा आज मुझे
तू है क्यों बेहतरीन ये
समझना था जज्बात मुझे

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29 SEP AT 22:55

नीले जहा में एक चांद आ गया
क्या हुआ था जो कल ये यू शरमा गया

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28 SEP AT 22:19

शब्द कभी मरते नहीं

नहीं मरते हैं ये शब्द कभी
बस रह जाते है कहे हुए
किसी के द्वारा
किसी की आत्मा के अतःस्थानों से
नहीं खत्म होते है जिव्हा के
निकलने के पश्चात
हो जाते है सदैव के लिए
अमर की कहा था किसी ने
ये शब्द अपने चाह से मुझे
क्या पता शब्द की तुलना
गरिमा भावना की रही होगी
उस क्षण जब निकली होगी
शब्द अथाह प्रकारों के बाद
एक एक शब्द का निकलना
आसान नहीं होता है
किसी के आने वाले दिनों
के लिए
और ना ही आसान होता है
बीते उन क्षणों के लिए
रह जाते है जन्मों जन्मों तक याद
क्या कहा था उसने मेरे
भूतकाल में
नहीं भूल सकता कोई भूल के भी
यही तो है शब्द की
पहचान

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22 SEP AT 21:15

Sbsbb

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22 SEP AT 18:22

बादल ये आवारे है
जो बिना रुके ही अपने मस्ती में
गुम है
लेकिन इनका बरसना इतना आसान नहीं होता
जब बरसाते है तो आंगन में बाढ़ ही ला देते है

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20 SEP AT 19:21

क्योंकि

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19 SEP AT 21:33

आज पुरानी डायरी से एक शायरी
मैने पढ़ी
उसके हर एक शब्द में तेरी ही तड़प आज भी
रही

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17 SEP AT 18:58


मैने अक्सर कविता के भीड़ में बनारस के शब्द को
ढूंढा है
मैने हर बार कविता के मध्य में बनारस की महत्वत्ता को सराहा हैं
मैने कविता मै हर बार बनारस को पाया है

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