I bleed, I cry,
then... I smile.
each drop seems dry!-
I write when reality hits my pen.
शब्दों की बस्ती में, एक छो... read more
कतरा कतरा खून बह गया इस सियाही से...
फिर भी छोड़ गई ये बीते कल की छाप ।
मैंने निचोड़ दिया पूरा खुद को इनमें ...
फिर भी है गहरे हर एक घांव ।-
मेरी मौजुदगी भी हवा सी थी उसकी जिंदगी मे ,
कभी दिखी नही मै।
आजकल सुना है दम घुटने लगा है उसका,
तभी उसे याद आई मै।
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उसने कहा “तू खुबसूरत नही की कोई दिवाना हो जाए! ”
जनाब! मै शायद न हू कोई हूर की परी और रंग भी मेरा सांवला है , न है सर पर ताज मेरे और न ही आते मुझे सौलह श्रींगार।
मगर ये तो मेरे शब्दों की देन है जो आज भी मुझसे अंजान कई लोग मेरे इन शब्दों पर मरते है।।
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In a world full of
“Wrong place, wrong time ”
Be my..
“Constant ”
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ये जो मै तुम को हर बार निराश करती हूँ
तुम मुहब्बत जताना छोड़ते क्यो नही?-
कहने को चाहने वाले हज़ार है मेरे।
बस बात इतनी है कि ,
अब चाहत बाकी रही नही मुझमे।-
तुम मोर पंख से लगते हो,
पर कभी किताबों मे रक्खा नहीं।
तुमसे मुहब्बत कितनी भी हो,
पर कभी शब्दों मे उतारा नहीं।।
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Khair! Naraazgi tumse kya jatati
Ehamiyat toh meri doston mein bhi nahi hai.
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