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अपनी तनहाइयों में,
दर्द की स्याही भिगोकर,
जाने अनजाने उनकी मोहब्बत का जुनून लिखता हूं।
लिखता हूं मैं आंसू...
लिखता तो हूं मैं आंसू...
उनके संग मैं अपने बीते पल का सुकून लिखता हूं।।-
"तुमसे मिलकर"
तुमसे मिलकर मुझे क्यों लगा है
जैसे पहले भी हम तुम मिले हैं
कभी पहले भी था ऐसा मौसम
पहले भी फूल यूं ही खिले हैं
यही मंजिल था यही रास्ते थे
यही हम थे यही दिल की धड़कन
दो दिलों में यही वास्ता था
क्या कहूं मुझको ये क्यों लगा है
जैसे पहले भी हम तुम मिले हैं-
" ये दिल "
खामख़ां बेवजह उलझ जाता है दिल
इश्क की जाल में फंस जाता है दिल
कहने को तो अक्षर ढाई होते हैं प्यार के
फिर क्यूं दिल से उसे कहना
हो जाता है मुश्किल....
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"तलाश"
हम अक्सर उस शख्स की तलाश में होते हैं
जो हमें जोड़ सके।
पर मुझे लगता है कि....
हमें उस शख्स को ढूंढना चाहिए
जिसकी मौजूदगी में हम "टूट" सकें।।-
पता नहीं कब आएगा वह पल
जब होगा तुम्हारा मेरा मिलन
जाने कब आएगी वो रात
जब पूरी होगी हमारी अधूरी बात
रहेगा इंतजार उस लम्हा का मुझे
जब सीने से अपने लगा लोगी हमें।-
मेरे दो चार ख्वाब है जिन्हें
मैं आसमां से दूर चाहता हूं।
जिंदगी चाहे गुमनाम रहे मगर मौत
मैं मशहूर चाहता हूं।-
बड़े हिसाब से इज्जत बचानी पड़ती है..
हमेशा झूठी कहानी सुनानी पड़ती है...
मुझे खरीदने ऐसे भी लोग आते हैं....
जिनके कहने पर कीमत घटानी पड़ती है ।।-
मेरे कोई खास
अपने सभी खास लोगों की गिनती में
मुझे भूल जाते हैं
बुरा लगता है जब
दिन रात मेहनत करने के बाद भी
किस्मत....
सबको कंसीडर करती है पर मुझे भूल जाती है
बुरा लगता है जब
कई बार... पता नहीं कितनी बार
मैं भीड़ में रहकर भी
भीड़ का हिस्सा नहीं बन पाता-
कोई इतना प्यारा कैसे हो सकता है
फिर सारे का सारा कैसे हो सकता है
तुझसे जो मिलकर भी उदासी कम नहीं होती
तो जरा सोच कि......
तेरे बगैर गुजारा कैसे हो सकता है !!-
जानते भी हो कितना अधूरा हूं मैं
कुछ टुकड़ों का सुंदर सा गुच्छा हूं
सिर्फ इसलिए लगता पूरा हूं ।-