बात करनी है,
और बात क्या है पता नहीं ;
कमाल करते हो !
और किया क्या है पता नहीं ?
-
Published Book : ସଙ୍ଗିନୀ ( କବିତା ସଂକଳନ )
[Link below]
🔴YOUR LIKE IS PRECIOUS, ... read more
"एक बात बताओ, किस चीज़ से सब से ज़्यादा डरती हो तुम ?"
"मौत से ।"
"यह तो बहुत आसान सा जवाब दे दिया तुमने ।"
"अच्छा, तो आपको किस से डर लगता है ?"
"जीने से !"
-
We choose to be delusional when it's a struggle for survival. And then, the truth is cruelty.
-
काश एक बार मिलते
तेरे नज़ाकत और मेरे बिखरने के बीचों बीच
वो हर बार यह हुआ कि
तुझसे मिलने से पहले
थोड़ा सम्भल जाया करते हैं हम ।
-
तुझे कसम है जज़्बातों की ख़ुदा
हमें पत्थर ही रहने देना अब
न तेरे हाथ में हिफाज़त रही
न मेरे हाथ में मौत
तुझे आता होगा आज़माना बेहद
हम हार गए मान लेना अब ।
-
हथेली मुट्ठी कर बिछड़े
और दिल तेरे पास छोड़ आए
तेरे लकीरों का पता नहीं
हम तक़दीर ही जैसे तोड़ आए ।
बातें अनगिनत माना कर न सके
ठोकरों से हम दोनों उभर न सके
राहों पर कांटे थे साथ चल न सके
तू आगे बढ़ा, हम मर न सके ।
जवाब मालूम है तू ना कहेगा
हम इश्क़ जताएं या इबादत
हम हिसाब में कच्चे, दिल खोल बैठे
तू देख या न देख है यही हक़ीक़त ।
है एक ही हक़ीक़त हम हिसाब में कच्चे
कितने बूंद थे मोहब्बत के अब कितने बचे
तेरा जवाब मालूम है तू क्या कहेगा
हम बस यही कहेंगे है बेशुमार मोहब्बत
बस यही एक सच है ।
-
बहुत बार जवाब पता होता है
फ़िर भी सवाल पूछते हैं,
जवाब बदल जाने के लालच में ।
-
झिझक है कि इज़हार अब
करें तो करें कैसे ?
दो क़दम मेरा तो एक क़दम तेरा भी
तेरे खातिर जान हाज़िर ,
तेरे वास्ते मगर यारा
चलें तो चलें कैसे ?
-
सारा वक्त ढलने से पहले
रुक जाना और एक शाम,
मेरी उम्र उतनी ही होगी
तेरे पास मेरे बाद भी होगा पूरा आलम ।
-
दिल को डर है
की फ़िर बिखर जाएगा
हक़ीक़त ने बोला
आख़िर सुलझा वो कब था
दिल ने रोया कि
कहीं और न टूट जाऊं
टुकड़ों ने बोला
इतना भी काफ़ी नहीं था ?
-