Anwesh Patel   (Anwesh Kumar अक़्स)
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Joined 4 December 2017


Joined 4 December 2017
23 FEB 2023 AT 21:45

वही कॉलेज के दिन, वही चार यार थे
एक पुरानी बाइक थी, जिसपे चारो सवार थे

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15 SEP 2022 AT 21:18

पहले पहले तो मैं तुम्हें, तुम्हारे सभी सवालों के जवाब सा लगूंगा
फिर एक दौर आएगा जब मैं वक्त बेवक्त, बेसबब बेहिसाब सा लगूंगा

मेरी बातों में ना आना, मेरे ज्यादा करीब ना होना
ये भी मुमकिन है मैं तुम्हें तुम्हारे अजाब सा लगूंगा

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22 AUG 2022 AT 23:36

अरसा सा इक बीत गया, कुछ रिश्तों की बुनाई में
लम्हा सा इक बीत गया, कुछ रिश्तों की तुरपाई में
हालत अपनी क्या बतलाते अपने ही अशारों में
बिछड़ के वो भी खुश नही थी, आया था सुनाई में

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5 AUG 2022 AT 10:05

बहुत मगरुर थे कुछ लोग, मेरे सबर पर बांध बनाकर
बतादो कोई जाकर उन्हें,
टूटता है जब बांध बह जाते है सारे बनानेवाले
उजड़ जाती हैं सारी बस्तियां, बिखर जाते हैं बनानेवाले
बंधन में होना है, बाध्य नहीं होना है
साधन तो होना है, साध्य नहीं होना है

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29 JUL 2022 AT 22:18

कभी बहुत कुछ लिख जाता हूं मैं
कभी नहीं लिख पाता एक भी अल्फाज़,
जब भी नहीं लिख पाता मैं कुछ भी
नहीं आती तब मेरे अंदर से तुम्हारी आवाज ।

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28 JUL 2022 AT 19:51

तेरे इश्क में सब हो गए थे, ऊंचे - नीचे अमीर - गरीब ।
मशहूर है तेरा मेरा किस्सा, पूरे कॉलेज में करीब - करीब ।।

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26 JUL 2022 AT 22:35

यही २६वीं तारीख, जबसे वो मेरे दिल पे छाई है
ये उससे बिछड़ने के बाद की पांचवीं जुलाई है ।

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25 JUL 2022 AT 21:47

तनख्वाह भी कम ऊपर से महीने का आखिरी हफ्ता
ये नौकरी खा जाएगी मेरी जवानी रफ्ता रफ्ता

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24 JUL 2022 AT 21:12

अंधकार से भरी है दुनिया, तुम ही हो वो तीली जिसे अब दिया जलाना है
जिंदगी की इस जंग में खोना बहुत है, थोड़ा कम ही पाना है

दो परिंदे कर रहे थे गुफ्तगू की किस साख पर आशियां बनाना है
मैंने भी सोच रक्खा है शहर से दूर इक मकां बनाना है

इन्ही सब कश्मकश में उलझा था मैं इस इतवार की याद आया,
थोड़ा आराम भी कर ले अक्स तुझे कल फिर दफ्तर जाना है ।।

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14 JUL 2022 AT 18:35

जिंदगी की सारी ख्वाहिशों के इतर
तुम्हारे शहर की ओर जाने वाली ट्रेन में तुम्हारे होने का एहसास
मुझे पूरे सफर के दौरान अपने फोन में आँखें गड़ाए रहने से रोक लेता है।

ना जाने ये कौनसे वास्ते है जो मुझे
मेरे गांव वाले रास्ते से भी ज्यादा घनिष्ठ लगते है ।

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