दिल का कहा मान लीजिए,
सब अच्छा बुरा जान लीजिए,
मंज़िलें मिल ही जाएगी जरूर,
एक बार बस ठान लीजिए।-
सारा सुकून छीन लिया लाश बन गए।
नए साल तुझसे थोड़ी उम्मीद ए सहूलत है,
बड़ी जद्दोजहद में मेरा गया साल गुजरा है।
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जो सर्द पड़ गए हैं रिश्ते दिसंबर के मानिंद,
उनमें जून सी रवानी मुमकिन कहां है अब।-
इश्क़, मुकम्मल हो जाए तो क्या कहने,
अधूरा इश्क़, उम्र भर की सज़ा देता है।-
यह नफ़रत फैलाने वाले मुट्ठी भर लोग,
मोहब्बत की दुनियां के क़ाबिल नहीं हैं।
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इस साल दिसंबर भी ज़्यादा सर्द नहीं है,
लगता है कि, दिसंबर को भी दर्द नहीं है।
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प्यार का एहसास यहां हर बार नहीं होता,
किसी ख़ास का होता है बाज़ार नहीं होता,
फ़कत एक के खातिर ही दिल धड़कता है,
ये दिल हर दफा गुल ए गुलज़ार नहीं होता।
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तेरी हर फरमाइश पूरी करूंगा,
इश्क़ की नुमाइश पूरी करूंगा,
तू कह दे कि, मुझे चाँद चाहिए,
तेरी वो भी ख्वाइश पूरी करूंगा।
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प्यार का एहसास दफनाए हुए सीने में,
हम तेरी गली से गुजरते हैं तो मर जाते हैं।
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उनका कहना कि, हाथ छोड़ दो अब,
रुला देता है वो लफ़्ज़ मुझे आज भी।
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