जब निकला था तब बड़े उत्साह के साथ आगे बढ़ा था तो लगा नही था की जरूरतों की आंच में मैं अपने द्वारा शुरू किए दूसरे सफर को छोड़ दूंगा फिर ऐसा लगा था की जैसे मैंने ये सफर बस एक राह में आते मुसाफिर के रूप में देखा था पर अब हालत थोड़े सुधरे है तो कोशिश करनेगे ये सफर भी जारी रहे ।
सफर में मुश्किलें तो आना ही होता है
ऐसे नही छोड़ के रण का मैदान जाना होता है
है आग अगर दिल में तो कैसे रात का अंधेरा होगा
तू पांव बढ़ाता चल एक न एक दिन तेरे मेहनत से सवेरा होगा
जीत होगी तेरी तू यकीन रख , थक के आराम कर पर हार मत
जुगनू भी करते है इंतजार रात का चमकने के लिए
पर तू सूरज जैसे बनने के लिए मेहनत की आंच में जल
एक दिन सब ठीक हो जायेगा इसी उम्मीद में दुनिया है ये चलती
तू खुद पर रख यकीन और सफर पर वापिस चल
हां , लगता है वक्त अच्छी चीजों में कुछ ज्यादा
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ना गरज किसी से,
ना किसी से वास्ता
मुझे काम है अपने काम से.!!
तेरी जिक्र से,तेरे फिक्र से
तेरी याद से तेरे नाम से..!!-
शहर की भागदौड़ से दूर तुझे एक ऐतवार लिखता हूं
मैं अपने गांव की तुझको सुहानी शाम लिखता हूं
जानता हूं पसंद तेरी पर मेरी थोड़ी कम हैं तेरे से
मैं तुझको अपने आंगन में तुलसी के नीचे
जलती दिया देखता हूं
तू आ जाए जीवन में ये आरजू हैं हर दम
मैं एक मुक्कमल जिंदगी तेरे नाम लिखता हूं
मेरा रास्ता हैं थोड़ा पथरीला पर, तुझे सुख दूंगा सारे मैं
तू संग मेरे संगदिल बन , मैं तुझे अपना ताज लिखता हूं
तू आज और अब से मेरे रंग में रंगजा ,
मैं अपना हर वक्त जान तुझे पर कुर्बान लिखता हूं
तू आ जाए हिस्से मेरी ,ये दुनिया रख दू कदमों में
मैं अपने रूह की तुझे मलकीत हक देता हूं
शहर की भागदौड़ से दूर तुझे ,मैं अपने गांव की शाम लिखता हूं-
Kabhi Khamosh Ho hum to hume bhi tum padh lena
Hum bhi dhundhte hain tumko apni udashi me
Us udashi me hath humara pakd lena
Raste zindagi ke bahut pathrile hain..
Tum dawaa ek fhunk pairo pr kar dena
Thode alg daur ke hain hum..
Tum kadam kadam par hume smjh lena
Ho jab hm akele to sang humare baith lena
Khamosh lafz humare tum padh lena-
एक सफ़र पर निकल जाने को दिल करता है
बहुत हुई दुनिया दारी अब हो अकेला
चलने को दिल करता है
पथ पर मेरे बस पैरों के निशान हो पीछे
ना कोई साथी ना हमसफ़र चाहता हूं
अब अकेले दूर निकल जाना चाहता हूं
अपना पूरा दे कर भी कुछ ना किया सुना मैंने
अपनी आह भी ना किसी को सुनने दी मैंने
एक बन्द कमरे मे अकेला बैठा मैं
गुमनाम हो जाना चाहता हूं
अब बहुत हुई ,दुनिया दारी
अनुविशू चल कहीं गुमशुदा हो जाया जाए
मुकम्मल ना सही सफ़र अकेले ,
पर चल उन रास्तों पर जहां से वापसी
ना आया जाए
बहुत हुई..-
एक ना सुलझने वाली पहेली हैं कायस्थ
जानो तो परमात्मा ना जानो तो बस एक काया है कायस्थ
कभी सच से तो कभी क्रूरता से
कभी चालाकी तो कभी , बेवकूफी से
अपने संस्कृति को बचाए कायस्थ
किस्से कहानी इनके खिलाफ बहुत , पर परवाह कहां इन्हे
मतवाले है ये इस माटी के , इसके लिए ही जीते चले
कभी अकड़ के कभी नर्म हो कर ये धर्म संस्कृति को फैलाते चले
रथ दिया , समुंदर नाव भी , गणित दिया और विज्ञान भी
राजनीति भी दी और आयुर्वेद भी
जंगली लोगो को रहना सिखाया
ये ईश्वर अंश हैं ,
कभी प्रेम से कभी नफरत से ये मतवाले चले
बिखरी जब जब दुनिया में सभ्यता ये तब तब ले कर नया नाम चले
सभ्यता के शीर्षक ये श्रेष्ठ कुल कायस्थ चले-
तुमसे प्यार किया इस बात पर फक्र करो
तुमको इज्जत दिए अपनी
औकात मत गीना करो
अपना गुस्सा और अकड़ अपने तक रखा करो
सुनो तमीज से बात करो , ये गरुर दिखाने कि
जरूरत नहीं
चलते फिरते कोई मुसाफिर नहीं हम ,खुद मंज़िल है
खून खानदानी और रुतबा नवाबी है हमारा
अकड़ और गरूर सर से ले कर पाओ तक भरा है हमारे
अनुविशू नाम हमारा और
अपने खानदान के पहले वारिश हम ,
मतलब समझती हो महाराजा है हम
राजा है अपनी रियासत के किसी के बाप के
गुलाम नहीं 🚩
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तू ना सही तेरी यादे साथ है
फोन नंबर तुमने डिलीट करवा दिया
तस्वीर भी ना कोई मेरे पास है
मै शब्दो को रोज तेरी यादों से
निकलता हूं
मैं शायर तो नहीं पर हर शायरी मैं
अपनी तुझ पर लिखता हूं
सब जगह से दूर कर दिया हमको तुमने
किस्मत से भी दूर हुई हमसे
पर दिल से निकाल के जाती क्यों नहीं ?
अगर याद है हम तुमको ,तो वापिस आती क्यों नहीं
हम फिर से तुमको गले लगा लेंगे
एक और गलती हुई समझ के भुला देंगे
हम शायर तो नहीं ,पर हर शायरी तुझ पर
लिखते हैं , रोज तेरी यादों में जीते मारते है-
Long distance Love
जहां मिलना , देखना भी मुश्किल हो
यहां सच्चे दिल के प्यार निभाना आसान है क्या ?
नहीं !
प्यार पर यकीन ,दूर से बस उसकी
रूह को महसूस करना
उसके उदास होने की भनक उसके बातो में
समझना ,वो कुछ छुपाए और उसको प्यार
जाता के उसका उदास मन दुबारा हंसना
दूर के प्यार मे बिल्कुल सचा रहना
उसके मिलने की उम्मीद पर दूसरे सबको
Ignor करना
इतना आसान थोड़े है दूर रह कर ,प्यार निभाना
सुबह शाम उसके ख्याल मे होना
उसके दिन रात में होना
उसके जिस्म कि चाह ना देख बस उसके एहसास
को जीना ,प्यार के बदले प्यार देना
रूठना मानना दूरी से ही tight hug देना
अपने लिए कुछ लेना उसको दिखाना
उसकी पसंद नापसंद के हिसाब से जीना
इतना आसान कहां है anuvishu
ये दूरी वाला प्यार निभाना
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Lala ( लाला)
मगध के लाला हम ,हम जैसा कौन यहां
घमंड तुम्हारा मिट्टी में मिला दे ऐसा रुतबा हमारा
हमको ना समझो ऐसा वैसा ,
प्राचीन मगध के राजा हम
एक ही असूल पर चलती ज़िन्दगी
अपनी स्वाभिमान स्वाभिमान बस स्वाभिमान
राजा से ना कभी रंक हुए हम
राजा के बाद जमींदार बने हम
प्यार हमारा कोई छोरी नहीं होती
जमीन से इश्क़ भरपूर होता है
आंख में रौब ,और खून खानदानी है
कायस्थ है राजा होना हमारा स्वाभाविक हैं
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