सुनो पंडित जी
बात ये नही है कि
तुम साथ नही हो
बात ये है कि बस तुम ही तुम हो
चले गए हो तुम मुझसे मुझे लेकर शून्य कर गए हो मुझे
या फिर खुद को भर गए हो मुझमे
या फिर तन्हा हूँ मै।
या फिर कितना कुछ तो है साथ मेरे
तुम्हारी बाते तुम्हारी यादें
साथ चलना तुम्हारा
मुझसे लड़ना तुम्हारा
कुछ कहना तुम्हारा चुप रहना तुम्हारा
हाथ थाम लेना तुम्हारा
नाता तोड़ देना तुम्हारा
नही तुम मुझे अकेला नही कर गए
तुम मुझे दे कर गए हो आजीवन का अविष्वास अविस्मरणीय दुःखद यादें पीड़ा युक्त नासूर ज़हर सी घुलती सांसे जो आहिस्ता आहिस्ता से मेरे खत्म व्यक्तित्व को मृत्यु की ओर बढ़ा रही है
कितना कुछ तो दे गए हों
फ़िर क्योंकर कहते है लोग तुम मुझसे मेरा सबकुछ ले गए हो
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