Anushka Vats   (Anushka Vats)
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Joined 25 April 2018


Joined 25 April 2018
5 MAR 2021 AT 21:42

हम लौट आए, सोचा घर आए हैं,
तलाशने सुकून अब इधर आए हैं।

मुंह फेर लिया क्यूं हमें देख कर,
वो पूछते हैं अब किधर आए हैं।

खबर अगाही की हमने भेजी तो थी,
मिलने नहीं क्यों फिर शहर आए हैं।

रुतबा बदला उन्होंने हमें देखकर,
असमंजस में हैं कि किधर आए हैं।

वो बरगद का पेड़, नदिया पुरानी,
संग अपने हम वही लहर लाए हैं।

सब मगर अब है मेरी समझ के परे,
मुमकिन है हम ही गलत शहर आए हैं।

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9 FEB 2021 AT 22:13

जब मेरी बेतुकी बातें सुनकर तुमको हंसी ना आए,
जब थाम कर मेरा हाथ भी सुकून नज़र ना आए,
जब मेरी लोरी तुम्हारे कानों को ना भाए,
जब मेरे परेशान होने पर तुम्हारी आंखे ना भर आए,
जब रूठ जाना मेरा एक बोझ बन जाए,
जब रात को मुझसे बिन बात किए चैन की नींद आ जाए,
जब तुम्हारी मंज़िल का रास्ता मेरे घर से होकर ना जाए,
जब मुझसे दूर हो जाना तुम्हारे दिल को ना तड़पाए,
जब खामोशी मेरी तुम्हारे पल्ले ना आए,
जब मेरे हिस्से की रात तुम्हारे ज़िंदगी में तिमिर ना छोड़ जाए,
जब मेरी आंखों की नमी तुम्हें बेपरवाह कर जाए,
सुनो, एक गुज़ारिश है,
हर वादा, हर ख्वाब तब तुम तोड़ देना,
जब ऐसा हो, तब मेरे हाथ को छोड़ देना।

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9 FEB 2021 AT 0:33

गुस्ताखी उनकी नहीं है, दिल उनका भी मासूम हैं,
मुझे शब्दों का खेल नहीं आता, वो खामोशी से महरूम हैं।

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1 FEB 2021 AT 23:59

कुछ हसीन यादें दी थी सौगात में उन्होंने,
कर्ज़ चुकाते- चुकाते हम किश्तों में बंट गए।

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16 JAN 2021 AT 0:19

कुछ पन्नों की थी 'मैं' से 'हम' तक की कहानी,
कुछ बाब में हम 'हम' से 'मैं' हो गए।

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15 OCT 2020 AT 23:38

जलती है हर शाम जिसकी खुशियों कि चिता,
फिर सांसों के चले जाने का क्या गम हो उसको?

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9 OCT 2020 AT 21:19

क्या बदनसीबी है ना उस कलम की भी,
लोग वाह कर देते हैं उसकी हर आह पर।

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7 OCT 2020 AT 22:07

कभी- कभी सब कह जाना भी ज़रूरी होता है,
वक़्त रहते जज़्बात बताना भी ज़रूरी होता है।
यूं तो परख लेते हैं मोहब्बत फकत आंखो में देख कर,
मगर फिक्र उनकी है, ये जताना भी ज़रूरी होता है।

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15 AUG 2020 AT 10:08

हो पता कोई शमशान, कोई कब्रिस्तान तो बता देना,
जलानी हैं कुछ यादें, कुछ जज़्बात है दफ़न करना।

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5 AUG 2020 AT 0:49

ये मौसम का बदलना, और दिल बेहाल रह जता है।
कब, क्यूं, किस लिए ये मलाल रह जाता है।

वो कहते कुछ, और करते कुछ और ही हैं,
झूठी बातों का अक्सर एक जाल रह जाता है।

ये कब तक आंसू बहाएं, आंसू पोंछे खुद ही,
हर जवाब के बाद एक सवाल रह जता है।

किसी के चले जाने से कब रुकी है ज़िंदगी किसी की,
बदलना किसी के आ जाने पर, मलाल रह जाता है।

कलम थक गई है मेरी ये सच्ची कहानियां लिख कर,
बदल जाने पर किसी के क्या तुम्हारा भी ऐसा हाल रह जाता है?

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