कुछ देर और तुम्हे सीने से लगाए रखते वो 'मुलाकात आखिरी थी' गर जान पाते।। -
कुछ देर और तुम्हे सीने से लगाए रखते वो 'मुलाकात आखिरी थी' गर जान पाते।।
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हकीकत से वाकीफ तो हम भी हैं,बस तुम्हारी इनकार ने उलझा रक्खा है| -
हकीकत से वाकीफ तो हम भी हैं,बस तुम्हारी इनकार ने उलझा रक्खा है|
देखो ऐसा है, कि हम अब भी यहीं ठहरें हैं बस अब तुम वापस मत आना।। -
देखो ऐसा है, कि हम अब भी यहीं ठहरें हैं बस अब तुम वापस मत आना।।
सुनो!! ज़रूरत नहीं हमदर्दी की, थोड़े आंसू बहने दोजुटा ली है हिम्मत भी ,तो अब तन्हा रहने दो क्या कहते हो तुम ? कुछ वक्त तक इश्क था.. सुनो तुम ना, इन बातों को किताबों में रहने दो|| -
सुनो!! ज़रूरत नहीं हमदर्दी की, थोड़े आंसू बहने दोजुटा ली है हिम्मत भी ,तो अब तन्हा रहने दो क्या कहते हो तुम ? कुछ वक्त तक इश्क था.. सुनो तुम ना, इन बातों को किताबों में रहने दो||
कि बात बस अपनी बात रखने की थी,फिर सच -झूठ, सही -गलत ने जंग छेड़ दी|| -
कि बात बस अपनी बात रखने की थी,फिर सच -झूठ, सही -गलत ने जंग छेड़ दी||
खामखां बदनाम कर देगा इश्क़... तुम ये रिश्ता गुमनाम ही रहने दोजो चाँद होते हम,तो कुबूले जाते.. फिलहाल तो तुम हमें बेदाग ही रहने दो| -
खामखां बदनाम कर देगा इश्क़... तुम ये रिश्ता गुमनाम ही रहने दोजो चाँद होते हम,तो कुबूले जाते.. फिलहाल तो तुम हमें बेदाग ही रहने दो|
सुनो न, जिंदगी में आओ तो जिंदगी भर के लिएवरना कुछ ओर आज़माओ दिल बहलाने के लिए|| -
सुनो न, जिंदगी में आओ तो जिंदगी भर के लिएवरना कुछ ओर आज़माओ दिल बहलाने के लिए||
अलफ़ाज़ों में फिसल कर हम ,ज़रा सा बह गएफिर ऐसे डुबे ज़ज़्बातों में, कि वापस न आ सके|| -
अलफ़ाज़ों में फिसल कर हम ,ज़रा सा बह गएफिर ऐसे डुबे ज़ज़्बातों में, कि वापस न आ सके||
अपनी तलाश हैहमें खुद मेंक्यों इस कदर शामिल हो तुम मुझमें|| -
अपनी तलाश हैहमें खुद मेंक्यों इस कदर शामिल हो तुम मुझमें||
सादगी ,सलीका और दिल के धागे से पिरोया इश्क़ हमने, कहाँ पता था... बस कहानियों में ही होती हैं एैसी रस्में|| -
सादगी ,सलीका और दिल के धागे से पिरोया इश्क़ हमने, कहाँ पता था... बस कहानियों में ही होती हैं एैसी रस्में||