उसने अपनी जिंदगी में पाया कुछ नहीं
पर हां..... फेंकता बहुत था 😆-
Selfish
क्या हो रहा है देश में खुलेआम जी
राजनीति हो रही है सरेआम जी
माना की आस्था पर विश्वास है जरूरी
पर इस पापी पेट की भी है मजबूरी
मेरी झोपड़ी बह गई पानी की धार में
मेरे अनाज सड़ गए उस बाढ़ में
पैरों में छाले पड़ गए, निवाले छिन गए
लेकिन फिर भी मै जी रहा हूं एक इंतजार में
की शायद बन्द होगी ये गंदी राजनीती
उतरेगी तुम सबके आंखो से पट्टी
देखोगे तुम उन सबको फिर
जो तिल तिल कर जी रहें हैं गुमनाम जिन्दगी
ना तुम आए ना तुम्हारी मदद आई
लेकिन फिर भी मैंने उम्मीद है लगाई
आज नहीं तो कल तुम आओगे ज़रूर
क्योंकि आपका भी वक्त बदलेगा हुज़ूर
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दूसरों पर इल्जाम लगाने से पहले खुद के गिरेबान में झांके
क्या पता आप खुद ही पूरे कीचड़ में धंसे हो-
इश्क में हम सब कुछ लूटा बैठे
जब खाली हाथ हो गए तो तुम्हे गवां बैठे-
मुझे भरे बाज़ार बेइज्जत करके
तुमने कोई गलती नहीं की
मैंने 2 लोगों के बीच थोड़ा
मज़ाक क्या कर दिया
हम तो बेपरवाह हो गए
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