यूं तो ज़िन्दगी जीने का तरीका सीखते सीखते ज़िन्दगी गुजर जाती है। सोचने बैठो तो बहुत कुछ अजीबोगरीब सी लगती हैं। लोग मुझे कहते है कि मै बोहोत अच्छी हूं । अब उनसे सवाल क्या पुछू क्यों? या फिर कब तक? शुरुवात के कुछ साल इतने खास क्यों होते है? एक दूसरे से बात करने के लिए इतने बेकरार क्यों होते है? अब वक़्त बदला है या इंसान पाता नहीं। लेकिन हां बात करने के नाम पे हालचाल पूछना कोई बात नहीं होती। कभी कभी दूरियां रिश्ते मजबूत करदेती है। सच है क्या? मैंने तो अक्सर दूरियों को रिश्ते ख़तम करने की वजह बनते देखी है। खैर ज़िंदगी है जनाब सिखते सीखते गुजर जाएगी।
कई शामे चाय की टपरी पे गुज़ार दी हमने । कुछ खास बातें करनी थी ये तो मालुम नहीं हमे। कई अंजान गलियों में घूमते रहे । कहीं जाना था, ये तो मालूम नहीं हमे। बस मालुम इतना ही है कि तुम बोलते रहे और मै हस्ती रही। कल तक बातें करने के लिए वक़्त ही वक़्त था और आज वक़्त हि नहीं। मै तुम से सिकायात नहीं सवाल कर रही हू। वक़्त मिले तो जवाब देदेना मै इंतजार कर रही हू।
I believe you should create your own story. Not to inspire others but yourself. Whenever you feel demotivated , narrate your own story to motivate yourself again.