Anushka Sharma   (Anushka)
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Joined 12 August 2019


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20 DEC 2023 AT 15:38

हम जैसे लोग पहाड़ों की तरह होते हैं
दूर से देखने में खूबसूरत दिखाई देते हैं
मगर नजदीक आकर देखो तो
एक खामोश तूफान निकलते हैं..

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10 JAN 2023 AT 22:56

मेरी हर बचकानी हरकत पर वो प्यार जताता था
वो मुझे हमेशा खरगोश कह कर बुलाता था ।।
ना  जाने  वो इतना  अनोखा  शख़्स  कैसे  था खुद मे
जिस बात पर गुस्सा होना होता वो उस पर भी हस जाता था ।।
परियों की कहानी के राजकुमार जैसा दिखता है वो
मगर कोई तरह का घमंड कहा कभी उसे छू पाता था ।।
मेरे हर गुस्से हर नखरे को सर आँखों पर रखता  वो
अपने नाम पर वो हर तरह से सही उतर जाता था  ।।
मेरी हर गलती को पर भी वो मेरे आगे झुक जाता था
वो मुझे हमेशा गुड्डू कह कर बुलाता था ।।

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4 JAN 2023 AT 20:45

जो एक दफा मैंने तुमको लिखा 
और  फिर मैं लिखना भूल गयी ।
जैसी लड़की मैं हुआ करती थी
मैं वैसी शख़्स होना भूल गयी ।
एक बस तुमको पाने की ख़्वाहिश में
मैं अपने वज़ूद तक को भूल गयी ।
जब तुमने ठुकराया मेरी कमियों पर मुजे
अपने टूटे हिस्सो को मैं गले लगाना भूल गयी।
हर दरवाजे को बंद कर लिया मैंने कुछ इस कदर
के जब होश आया मैं खुशियो के सब रास्ते भूल गयी।
सही किया या गलत किया मालूम नहीं मगर
जो एक दफा मैंने तुमको लिखा 
और फिर मैं लिखना भूल गयी ।

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21 JAN 2022 AT 19:06

मैंने यू ही नहीं लिखना सीखा ।।
थीं कठिन ये यात्रा लेकिन
इसमें मैंने चलना सीखा ।।
पथ पथ पे मिले मुझे कांटे बहुत
पर मैंने सदा आगे बढ़ना सीखा ।।
हर एक चुनौती का सामना कर
मैंने मर - मर कर जीना सीखा ।।
कम उम्र में मिले तजुर्बों से मैंने
अपने जख्मों को सीना सीखा ।।
कभी मीठी लगे तो कभी लगे कटु
जीवन के सुख-दुख को मैंने पीना सीखा ।।
अकेले में कमजोर हो चींख-चींख कर रोयी मै
मगर दुनिया के समक्ष मजबूत होकर हंसना सीखा ।।
अपनी ह्रदय अग्नि में खुद ही को जलता हुआ देख
मैंने अपने अंतर मन के विरुद्ध युद्ध करना सीखा ।।
जीवन - मृत्यु से आगे मैंने शब्दों का जाल रचना सीखा
कागज कलम से यारी की मैंने यू ही नहीं लिखना सीखा।।

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19 JAN 2022 AT 18:51

Breathe girl ,
that is all you want !

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19 JAN 2022 AT 18:36

मुझे आजाद होना है
लहरों के जैसे दरिया में खोना है
मुझे घुटन सी हो चली है अब
सभी रिश्तों का बोझ ढोते - ढोते
मुझे इन बंधनों से अब दूर होना है
मैं भूल सा गई हूं जैसे खुदको ही
सबको खुश रखने की कोशिश में
मुझे पहले जैसा ही बेबाक होना है
मुझे चाहिए जो ज़िन्दगी से वो मै पाकर रहूंगी
मुझे अपनी ज़िन्दगी को अपनी शर्तो पर जीना है ।
परिंदों के तरह मुझे आसमान को छूना है
मुझे आजाद होना है ।।

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14 JAN 2022 AT 9:17

Khamoshi se shayad mar Gaya hai seene mein

Muddaton se Dil se bhi koi awaaz nahin aati

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12 JAN 2022 AT 10:35

My some friends got a govt job,some become ca ,some become politicians, some got good job in MNC ..

And me who is still unemployed :

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11 JAN 2022 AT 12:25

(सहर्ष स्वीकार )
तुम से मिले वो वादे हजार
ख्वाबों के गुलशन जो थे कभी गुलज़ार
अपनो से मिला वो निस्वार्थ प्यार
लोगो के दिये वो आदर सत्कार
मेरे बुरे वक़्त के मेरे तरफदार
तुमसे मिला हुआ वो तिरस्कार
लो आज मान मैं लेती हूं इन सब पर मेरा अधिकार
और अब अंत में मुझे ये सब है सहर्ष स्वीकार ।।

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8 JAN 2022 AT 22:38

मै जब भी खुद से मिलती हूं
हर बार प्रश्न यही करती हूं
क्या होता जो वैसा हो जाता
जैसा कि मैंने चाहा था
या फिर ऐसा ना होता
जैसा के हो रहा है अभी
क्या होता जो मुझे सब मिल जाता
या ना खोता मेरा सब कुछ ही
क्या होता जो कुछ भी ना होता
चलता रहता जीवन बस ऐसे ही
जो हुआ वो शायद ठीक ही है
पर कुछ ओर भी तो गलत नहीं
ये सही ग़लत , ये गलत सही
इनसे बढ़कर क्या कुछ भी नहीं
हर बार प्रश्न यही करती हूं
मैं जब भी खुद से मिलती हूं ।।

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