Anushka Dwivedi   (ऋcha)
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Joined 8 October 2020


Joined 8 October 2020
8 MAY 2022 AT 9:47

मुझसे ज्यादा किसी को मुझ पर विश्वास है
मुझसे दूर रहकर भी वो मेरे पास है ....

मैं हारी हूं खुद से
पर उसके जहान मे आबाद हूं ...

बेशक कैद हूं जमाने की कई जंजीरों मे
पर मेरी मां कहती है मैं हमेशा आजाद हूं...

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2 APR 2022 AT 15:58

तन्हाइयों से निकल
खुद से बातें तो करना है,
पर हालात ऐसे हैं कि मैं खुद से नाराज हूं ||

ख्वाहिश भी है जीने की
जैसे गम के रेत में हो तलाश दरिया की,
पर हालात ऐसे हैं कि मैं इस जिंदगी से नाराज हूँ ||

लहरें तो आती हैं आशाओं की
पर ठहरती नहीं,
बस किनारा है निराशा का ..
करवट बदलता यह समय भी थम सा गया है मेरे लिए
अब तो हालात ऐसे हैं कि मैं हर लमहे से नाराज हूँ||

इस अधियारे मन में होता नहीं सबेरा
इसमें दोष भी क्या इन हालातों का यह दोष है ,मेरा..

अब रास्ता है यही
कि मन खुद का रुख मोड़ ले तो सही ..
अपने आप को इन हालातों से ना तोड़े तो सही...
वरना अंजाम ऐसा हो नहीं ,
की ये हालात खत्म कर दे मुझे कहीं ||

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5 DEC 2021 AT 18:51


जिंदगी जब रफ्तार मे हो....
तब रातों से वक्त चुराना पड़ता है,
यू आसान नहीं मंजिल की चाहत करना ....
कुछ सपने देखने के लिए,
आंखों से नींद भगाना पड़ता है...

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28 NOV 2021 AT 17:10

दिल के बाजार में दिल ही खरीददार चाहिए
बहकती नजरे तो
सिर्फ बेहतर की तलाश करती है ,
इनकी हैसियत नहीं
कि वे दिल का सौदा कर सके

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23 OCT 2021 AT 14:07

इंसान

बंज़र भी कर रहा जमीन को
साथ ही दरख़्त की छांव ढूंढ रहा ,

बेचैनियां समेटे हुए ,
काम की तलाश भी है और दो पल का आराम ढूंढ रहा,

औरों के दो तर्फे प्यार पे इल्जाम लगा के ,
अपने एक तर्फे प्यार का खूबसूरत अंजाम ढूंढ रहा,

लरज़ते मां-बाप को सहारा नहीं देता ,
नन्हे बच्चे में अपनी जान ढूंढ रहा,

मशरूफ है खुद भी शहर की गलियों मे,
और दूसरों से अलग अपना मकाम ढूंढ रहा ,

कितना मासूम है इंसान ,
छोटी सी हार के लिए खुद को जलील कर ,
ज़माने में अपना स्वाभिमान ढूंढ रहा

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26 SEP 2021 AT 13:01

किसी के सुबह की शुरुआत
तो किसी के शाम का आगाज है चाय ,
किसी के सर दर्द की दवा
किसी को खुश करने का राज है चाय ,
वैसे तो मेरे लिए जरूरी नहीं
पर बहुतो के लिए बहुत खास है चाय

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19 SEP 2021 AT 9:39

सुंदर चेहरे मिले कई
पर दिल का प्यारा सिर्फ तुम्हारा चेहरा नजर आता है,

शायद प्यार है तुमसे इसलिए खामियां दिखती ही नहीं तुम मे,

वरना खूबसूरती की मिसाल तो है चांद भी
गौर से देखने में यह भी बदसूरत नजर आता है

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1 SEP 2021 AT 19:27


playing with friends without any restriction, laugh as i can without any tension,
speak to someone without any hesitation
☺🤗😇

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28 AUG 2021 AT 10:03


यह मेरे जीवन का अनुभव और मेरे मन का भाव है
जिन्हें नाम दिया है तुमने कविता, शायरी, अल्फाज

मेरे अंतर्मन में जब भी कोई भाव उठते हैं
मैं तुम्हें याद करती हूं
और वह एक रचना बन जाती है
जिन्हें नाम दिया है तुमने कविता, शायरी ,अल्फाज




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24 AUG 2021 AT 10:28

एक बेहतर शुरुआत के लिए
अच्छे वक्त का क्यों इंतजार है ,

मंसूबा हो हमारा पूरा
उस कल का क्यों इंतजार है ,

जो है इस पल में है
तो एक अनजान लम्हे के लिए,
हम होते क्यों बेकरार है

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