ए खुदा,
जमाने में कुछ तो अच्छा रहने दिया जाए,
बच्चों को बच्चा रहने दिया जाए।-
Interested in writing poetry, studing, reading books, spiritual w... read more
जब पीड़ा से मन फटता हो
और बुनने वाला कोई न हो,
जब दिल के टुकड़े बिखरे हों
और चुनने वाला कोई न हो,
जब दर्द शब्द में ढलकर भी
यूं कंठ के अंदर सिमटा हो,
जब लब कहने को आतुर हों
और सुनने वाला कोई न हो,
तब मन की पीड़ा आंखों की
राहों से बाहर चलती है,
मैं हल्का होते रहता हूं
और दुनिया मुझे कायर कहती है..
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तू रखता है तमन्ना किसी यार की
मेरी ख्वाहिश है मैं तेरी दिलदार बन जाऊं,
गर गुजारिश कर तु मेरे दीदार की
खुदा कसम मैं तेरा संसार बन जाऊं,
तु खामोश होकर भी मुझमें एक शोर है
मैं इस शोर की हमराज़ बन जाऊं,
तेरे जेहेन् में जो संगीत उठे
या खुदा मैं उसकी साज़ बन जाऊं,
Rest in caption...
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खिलते गुलाब के मुकद्दर में कांटे हैं
सूख कर पहुंचता है गुलाब किताबों में
जिस्म की नुमाइश कोई बदला नहीं
मैंने देखा है इक गुलमर्ग हिजा़बों में
मसला क्या है मोहब्बत में गुलाब का
नाहक ही मुरझाते हैं कहीं दराजों में
क्या ही ढूंढते हो इश्क में दर - बदर
इश्क को ढूंढ़ो, जाकर कहीं शराबों में।
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Na jaane kaun si khushbu se tujhe bnaya gya hai,
Tujhe yaad krte hi teri mehak aane lgti hai!!-
Mai aur tu aur kuch bhi nhi siway iske ki,
Mai hun ek tute taare sa, tu hai chand ka noor,
Mai patthar koi purana sa, tu keemati jaise kohinoor,
Mai jaise sard hwa, tu suraj ki garmahat hai,
Mai agar nanha bachcha, tu meri jid mujhe teri hi chahat hai,
Mai chand alfaaz hun, tu puri kitaab hai,
Mai hun bahut aam, tu bahut nayaab hai,
Mai sukhe patton ka der, tu khubsurat gulab hai,
Mai koi uljhan bhara sawal, tu mera jawab hai,
Mai koi sukha kinara, tu pura sansar sagar hai,
Mai hun ek banjara, tu thehra hua ghar hai,
Mai hun ek aashiq, tu ishq agar hai,
Mai hun har agar, tu mera magar hai,
Hai na meri likhi har baat sahi,
Mai aur tu kuch bhi to nhi.....
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कई बार,
हमें बहुत ज़ोर से रोना आता है,
मगर हम रोते नहीं हैं,
तब,
ना रोने में न एक अजीब सा दर्द होता है,
कई बार एक आंसू पहले आंख तक आता है
आंख से फिर वो आंख के किनारे तक आता है,
आंख के किनारे से वो गिरने ही वाला होता है.....
कि हम जैसे तैसे होठ को दांतों-तले काट कर
या पंजे और मुट्ठी भींच कर या एक.......
.................
लंबी सांस लेकर उस आंसू को रोक लेते हैं,
उस आंसू को गिरने नहीं देते,
हम उसे अपने अंदर रखते हैं,
उस एक आंसू को अपने अंदर रखने में न
बहुत हिम्मत लगती है........
उम्मीद..
उम्मीद मुझे बिल्कुल उसी एक आंसू के जैसे लगती है।
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उसे पता ही नहीं, इंतजार का दुःख क्या है,
मैं उसके पास कभी देर से गया ही नहीं।।-