Anuragini   (अनुरागिनी)
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Joined 16 December 2019


Joined 16 December 2019
20 DEC 2023 AT 13:50

कितना कठिन है ना...प्रेम में कुछ भी नया करना,फिर चाहे वह गलतियां ही क्यों ना हो।आखिर गलतियां भी तो प्यार को बढ़ाती है,मौका देती है प्रेम के प्रदर्शन का,विश्वास के नए प्रतिमान गढ़ने का।
उस सुख को परिभाषित नहीं किया जा सकता,जब आपकी गलती पर भी आपका हमसफर आपके पक्ष में खड़ा हो,आपका हाथ थामे इस बात का एहसास कराते हुए कि"देखो तुम्हारे व्यक्तित्व के इस कमजोर पक्ष में भी मैं मजबूती से तुम्हारे साथ खड़ा हूं।जैसा कि मैं वादा किया था,तुम्हारे व्यक्तित्व का यह रूप भी मुझे स्वीकार है।मैं तैयार हूं तुम्हें संभालने के लिए,तुम्हारे क्रोध को अपनी सौम्यता से शांत करने के लिए।हां ! मैं तैयार हूं क्योंकि मैंने वादा किया था"
शायद इसी उम्मीद में मैं हर बार एक नई गलती करने के लिए अपने व्यक्तित्व के तथाकथित सुदृढ़ पिंजरे से बाहर निकल कर उड़ जाना चाहती हूं और मौका देना चाहती हूं प्रेम और विश्वास को स्वयं की सिद्धि का, आत्म प्रदर्शन का।पर जब संस्कारों के अधीन हो कोई बड़ी गलती नहीं कर पाती,जब इंतजार करते-करते सांझ ढल जाती है पर मुझे ढूंढने निकली कोई निगाहें नजर नहीं आती तब फिर से अपने पंखों में उसी एक पुरानी गलती को समेट कर खुद ही लौट आती हूं उस खूबसूरत पिंजरे में और ढलते सूरज की तरह मेरा प्रेम और विश्वास भी ढलता ही जाता है इस आरोप के साथ कि"एक ही गलती कितनी बार दोहराओगी हमें लगा तुम खुद ही संभल कर लौट आओगी"

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9 JUL 2023 AT 18:29

क्यूं है दर्द गर जिस्म पर कोई वार नहीं है ,
ख़ुद से बेहतर यहां कोई मददगार नहीं है...
हुई है 'बेज़ार' तेरे इश्क़ में शख्सियत मेरी ,
वरना यूं ही बिखर जाए,ऐसा मेरा किरदार नहीं है।

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15 MAR 2023 AT 18:46

ज़ख्म कहां कहां से मिले हैं, छोड़ इन बातों को,
इश्क़ तू बता, अभी और कितना सफ़र बाकी है...

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15 MAR 2023 AT 13:47

कर्ज तो अपनों का है मुझ पर,
गैरों को कीमत क्यों चुकाऊं मैं...।

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15 MAR 2023 AT 10:38

ना जाने कितने भ्रम टूटना अभी बाकी है..
ए दिल ! तेरा गलत होना अभी बाकी है...।

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24 JUN 2022 AT 12:28

वो मशरूफ था कहीं ओर, मैं इंतजार में उसके जल रही थी ,
वो जी रहा था जिंदगी अपनी, मैं प्यार में उसके मर रही थी।

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13 JAN 2022 AT 18:07

आराध्य पर अटूट आस्था बनाए रखने के लिए ,
प्राणहीन मानना होगा उन प्रार्थनाओं को जिन्हें वह सुन नहीं सका...।

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30 MAY 2021 AT 9:59

बेचैनी बयां नहीं होती गिने-चुने अल्फाजों में,
जिंदगी उलझ-सी जाती है अनकहे जज़्बातों में ।

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25 MAY 2021 AT 17:30

मुद्दा यह था कि उनकी ख्वाहिशों के अलावा कोई मुद्दा ना हो,
जो मुद्दा उठाया मैंने अपने ख्वाबों का तो बवाल हो गया..।

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13 MAY 2021 AT 8:27

उम्मीदों के बोझ तले, इसको दबाए बैठी थी,
कि इक बेपरवाह से मैं अपना ,दिल लगाए बैठी थी..।

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