महिलाएं आजाद हुई तो पता चला
दुश्मनों को भी वो घुटनों पर ला सकती है
चंद घटनाओं से जाने क्यों डरे है लोग
ये वो कुटिया को भी महल बना सकती है-
क्या जुर्म कर रहा हूँ मुझे मार दीजिए।
जिसे परहेज था रंगों से मेरे
आज किसी और के रंग में ढल रही है
चलना था जिसे एक उम्र साथ मेरे
किसी और के कांधे पर ढल रही है
वो चाहती थी इश्क में थोड़ी जल्दबाजी
और मेरी किस्मत धीरे धीरे बदल रही है-
पुरुष याद नहीं रखते
प्रेम में गलतियां
स्त्री बांध लेती है
आंचल से वो हर लम्हा
छूटा हुआ वक्त , बिखरा हुआ शख्स
टूटा हुआ गुलाब, गलतियों में आप-
तजुर्बा ए जिंदगी जाना हुआ जब तीस का
इश्क और हवस में फर्क होता उन्नीस बीस का-
इश्क में नाकाम होना कोई बात नहीं है
जो तुम से हो रहा वो शुरुवात नई है
तुम सोच लो एक बार फिर से मेरे दोस्त
मेरे लिए ये इश्क नई बात नहीं है-
मेरे ही हिस्से में क्यों लिखी जुदाई ये जानी मैं ने
गर तू मिला होता मै खुदा को भूल जाता-
जंगलों को उजाड़ कर हम, गमलों में पौधे लगाते है
कुछ इस तरह से हम, पर्यावरण बचाते है-
उस गुलाब से अब कोई वास्ता रहा नहीं मेरा
क्यों उसी याद से महके है हाथ मेरे-