ANURAG UPADHYAY  
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हिंदी साहित्य लेखकसंपर्क सूत्र अयोध्या 8286773452
Joined 8 July 2020


हिंदी साहित्य लेखकसंपर्क सूत्र अयोध्या 8286773452
Joined 8 July 2020
19 JUN 2023 AT 0:26


पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की
दीवार है
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला खिलौना है
नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।

पिता एक उम्मीद है, एक आस है
परिवार की हिम्मत और विश्वास है..!!

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22 APR 2023 AT 21:41

सुनो! चाँद को चाँद ही बने रहने दो
मुकम्मल इश्क़ में दाग़ नज़र आएंगे।

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9 APR 2023 AT 17:32

पल की मुलाक़ात में उनसे
रिश्ता उम्र भर का कायम हो गया था

वो कुछ देर ही बैठे पास मेरे मगर
मैं उस एक लम्हें में ही अपनी
पूरी ज़िंदगी जी आया था

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23 MAY 2022 AT 1:07

तूफानों ने घोंसला उनका उड़ाया
दरख्तो ने छोड़ जाने का इल्जाम परिंदो पे लगाया....

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12 MAY 2022 AT 21:39

हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे
कि तुमको पहली मुहब्बत की बद्दुआ ना लगे

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2 MAR 2022 AT 22:58

अब ना आना लौट कर
इंतज़ार भी अपनी
हद से गुजर गया

रहता था जो पानी आँख में
वो सारा आँख में ही सूख गया

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2 MAR 2022 AT 22:49

पुरूष ने साहित्य लिखा तो स्त्री को इंसान से देवी बना दिया, और स्त्री ने साहित्य लिखा तो पुरूष को इंसान से भेड़िया बना दिया।

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2 FEB 2022 AT 1:15

किसी के चले जाने के बाद हम हर पल विश्लेषण करते है उसके चले जाने का ढूंढते रहते हैं एक ऐसा कारण जो हमे संतुष्ट कर सके कभी कभी हम सत्य से अवगत होते है लेकिन फिर भी सभी तर्कों को उस ओर मोड़ने लगते हैं जहा हमे सुकून मिले। नही स्वीकार कर पाते की कोई हमे बस यूं ही छोड़ गया होगा
नही स्वीकार कर पाते किसी रिश्ते का खतम हो जाना की शायद उस रिश्ते की हमारे जीवन में उतनी ही उम्र थी ढूंढने लगते हैं वो एक तरीका जिस से सब वैसा हो जाएं जैसा हम चाहते है हमारा दिल और दिमाग दोनों एक दूसरे के विरुद्ध हो जाते है । इतने मनन और चिंतन से निकलने का एक सरल उपाय है
स्वीकार कर लेना किसी भी परिस्थिति को स्वीकार कर लेना जिंदगी को सरल बना देती है.... 🖤— % &

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27 JAN 2022 AT 12:19

शिखा जिनकी धरोहर है
तिलक से जो अलंकृत है
चमकता भाल दिनकर सा
जो अपराधों से वंचित है
जो शंभू सा विनाशी है
जो विष्णु सा हृदय कोमल
हैं जिसमें तेज ब्रह्मा का
ब्राह्मण सर्ववंदित है— % &

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27 JAN 2022 AT 0:51

अब नहीं कोई ख्वाहिश हमें
अब चैन से सोने दो

बहुत थक गए हैं जीते जाते
अब हमें दफन होने दो— % &

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