परेशान हूँ, हैरान हूँ, वक़्त का मारा मैं इंसान हूँ। ख्वाहिशों को समेटे हुए, संघर्ष के मैदान में खड़ा मैं इंसान हूँ। हर तरफ़ अंधेरा यहाँ, फिर भी लड़ रहा मैं इंसान हूँ।
वो कहने लगी, हम सुनने लगे, वो मुस्कुराने लगी, हम उसे देखने लगे। उसने कहा कुछ बातें करते हैं,और हमने कहा, इश्क़ हो गया अब क्या करें। उसने कहा इश्क़ बीमारी है, हमने कहा, इस बीमारी का इलाज हो तुम।