बालपणाला सुतक करुन गेला ,
दिवाळीतही काळोख होऊन गेला ,
माझा बाप सोबत दिवाळी घेऊन गेला .
मिस्_यु_भाऊ🖤
-
यूही लिखना ,
पढ़ना कुछ काम का नही बचा,
अनपढ़ शायर ने पढ़ा किसमत का लिखा ,
शायर का लिखा उसने नहीं पढ़ा ,
और लोगों के लिए वो शायरी हो गयी ,
उसके लिए आज भी वो ,
अनजान शहर से बढ़कर नहीं ,
शायर की नज़्म ने कितनो को ज़ख़्म दिए ,
और उसने शौहर के लिये शायरी लिख दी ,
और शेर ये है की ,
गौर फ़रमाना …
कल के शायर ने , अपनी शायरी को आज शायर बनते देखा ,
माफ़ किया क्यूँकि , अपनी शायरी को माँ बनते देखा ,
भाई मेरे ,देख बची है शिद्धत इधर पर ,
क्यूँकी,
आज वो शेर लिखता है , उस माँ पर !
- अनुराग शोभारत
-
तरंगावेत खुशाल , अपमानाचे डोह ,
हाकावी रानं , मरतुकड्या जनावरांची ,
रोग्याचं मास्क,पहावं घालुन,
कुजुबुजाव्या भापड्या गर्जना , प्रेमाच्याही ,
लंबरुप पाडावीत सुर्याची किरणे , आयुष्यावरही ,
सोलुन पहावी कातडी , वाचा , कधीतरी ,
जात गरोदर करावी , पोटजातीसारखी ,
करावं राजकारण प्रेमाचं , वासराच्या आईचं ,
सावलीचं मात्र राजकारण कधी करायचं नसतं ,
ती एकटीच असते
चिंगारीच पेटावी ठरवलेल्या घरादारांवर
आघाडी मृत्युंशी करावी , अगदी शेवटपर्यंत …-
मुहाज़िरो के हथेली पे ,
मै नाम सिंध लिख दूँ ,
सोच रहा हूँ की ज़िंदगी का नाम ,
पाकिस्तान लिख दूँ ,
और
कभी कबार एक शायरी
मै सुबह भी लिख दूँ !-
हवाओं में गर्मी महसूस हो रही है ,
किसी ने ,
जंगल को आग तो नही लगाई क्या?
पतझड़ के पत्तों जैसा हमारा इश्क़ ,
फ़रवरी से पूँछों ,
इशक पर कोई जलने लगे है क्या ?
-
मेरे जिस्म की बेवजह तारीफ़ ,
ये सारा मुझे झुट लगा ,
मेरे कई सारे बहरूपी होंगे,
लेकिन “आइना” मुझे सच लगा !-
ख़रीदने चला था , “आपने” सिक्के लेकर बाज़ार में ,
बाज़ार ने ही मेरा जिस्म ख़रीद लिया ,
और बदनाम
“पराया” सिक्कों ने मेरा सुकून ख़रीद लिया ,
आज रूह की इस मंडी मै
मेरे अपनो ने मेरा “बाज़ार“ और
परायों ने मेरा “इत्तर “ बना लिया!
-
“ यदि मैंने ठान ली तो , में हाथी बनता हूँ ,
हाथ कोइ दे अगर ,तो में साथी बनता हूँ !”
-
सुना है ,
बग़ीचोंके फ़ुल आज गुनेहगार नज़र आते है ,
शायद,
महबूबा बाग़बान बनके लौट आयी है !-
लेके कलम हाथ में ,
लिख रहा हूँ नज़्म ,
कलम ए तलवार ने दी दस्तक ,
तुने दिया किसिको ज़ख़्म !
सुन ये कलम ,
मै शिकारी पे नही , शिकार पर लिखता हूँ,
सिर्फ़ कलम होती तो काग़ज़ पर सिर्फ़ रंग रहते ,
ज़ख़्म तो मैंने तुझे दिया , उस से शायरी निकल आयी ,
पानी आँखोंका देखा उसके ,तो धूप में बारिश लौट आयी!
-