मुझ काफ़िर को तेरे इश्क़ कि जुस्तजू है,
तू इबादत है मेरी, तू ही मेरी आरज़ू है...
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ख्वाबों के सहारे जी कर देखा है,
मैनें भी इक प्याला ज़हर का पी कर देखा है,
देखा है जबसे तुझको गैरों की बाहों में,
ये मंजर भी फिर मैनें जी कर देखा है ।
जिस्म की चाहत में वो उधेड़ते है लिबास तेरा,
मैनें तेरी खातिर इक लिबास सी कर देखा है,
मर जाता तुझे यूँ देख कर तो अच्छा होता,
मगर तुझे इस तरह भी मैनें जी कर देखा है ।।-
बेपरवाह बेह़या सी ये जुल्फ़े ना जाने किस की आदत बनेगीं,
संवार लो इन्हें चहरे पर गिरने से पहले वरना ये किसी की शहादत बनेगी !!-
मेरी आँखों से ओझल, सुकून की नींद हो तुम,
रहता हूँ मैं अब शब-ए-वस्ल के इंतिजार में,
बंजर पड़े मेरे दिल की हसरत-ए-दीद हो तुम,
कोई उजला हुआ मेहताब हो, मेरी ईद हो तुम !!-
तेरी यादों की गिरफ़्त में रहा मैं पूरी बरस,
ना जाने वक़्त कब मेरे साज़गार बनेगा,
गुजर जाएगा फिर से एक साल तेरे बिना,
फिर से एक नया साल तेरा इंतजार बनेगा !!
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मेरी ख्वाहिशें
कुछ ख्वाहिशें है मेरी, जब मिलने आओं ना तो
ज्यादा संवरना मत, बस अपनी जुल्फें खुली रखना...
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काश मैं तुम्हारा दफ़्तर होता,
जिससे मिलने तुम हर रोज चली आती,
अनचाही ही सही मगर तुम्हारे लवों पर मुस्कान तो होती,
जात-पात से परे हमारे रिश्ते की एक अलग पहचान तो होती...
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अब जब हमारी मुलाक़ात होगी,
सिर्फ आँखों से नहीं लबों से भी बात होगी,
एक अरसे के बाद देखुँगा तुझे जी भरकर,
तेरे साथ कटेगा दिन, फिर तेरे साथ रात होगी ।।-
जब भी अंधेरों से घिरा, दिखाया उजाला है मुझको,
जब भी ठोकर खाकर गिरा तो संभाला है मुझको,
खुद वो रही हो चाहे लाख तकलीफों में, मगर
मेरी माँ ने बड़े नाज़ो से पाला है मुझको !!-
" उसकी हिचकियाँ "
शायद वो मुझे प्यार नहीं करती,
मगर हिचकियाँ आने पर आज भी,
मेरा ही नाम लिया करती है...
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