Anurag Srivastava   (Anurag ...( विनम्र ))
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Joined 14 February 2019


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Joined 14 February 2019
3 MAY 2022 AT 20:51

खुद के दिल में भी अकेला रह गया हूँ,
क्या करूँगा मैं मिट्टी के रहाईशों का,

वक्त जाने का आ गया जल्दी,
क्या करें अब हम अधूरी ख्वाहिशों का ।।

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26 JAN 2022 AT 6:08

जिदंगी! तू ही बता दे मेरी खता आखिर,
अब कहाँ फिर से किताबों में सिर खपाते फिरें,

अब सिर्फ अजनबी बन कर ही रहना है मुझे,
कहाँ लोगों से रोज नये-२ रिश्ते बनाते फिरें,

हर कोई पहले ही रोने लगता है दुखड़ा अपना,
कैसे उन बेचारों को हम अपना दर्द बताते फिरें,

कबूल कर लिया है दिल ने और 'विनम्र' ने भी,
जरा सी वफ़ा के लिए कहाँ-२ ठोकरें खाते फिरें।। — % &

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26 JAN 2022 AT 6:04

Sometimes playing dumb in a relationship worth more than being on faces. — % &

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23 JAN 2022 AT 23:22

मुझे डूबने का जरा सा मलाल न था मगर,
मेरे सफीने की बेवफाई ने दिल तोड़ दिया ।।

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19 JAN 2022 AT 23:28

मुझे जालिम जमाने का डर नहीं, लेकिन!
परेशाँ हूँ कि हिचकियाँ न जान ले लें कहीं।।

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16 JAN 2022 AT 20:09

खुद का साथ एक हुजूम सा लगता है मुझे,
फिर इतनी तन्हाइयाँ कहँ से लाऊँ मैं,

तय तो ये था कि दरिया पार जाऊँगा,
अब दिल है कि किनारे पर डूब जाऊँ मैं।।

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14 JAN 2022 AT 21:45

मैंने मौसमों को जाने दिया,
आवारा बादलों से मेरा मेल नहीं,
कहीं तितलियों के पर न छिल जाऐं
मैंने फूलों का साथ छोड़ दिया,

बाँध दी है किनारे पर कश्ती,
सारी ख्वाहिशों से नाता तोड़ लिया,
कहीं गोपियों का दिल न दुख जाए
मैंने पनघट का मोह छोड़ दिया,

साथ लोगों का जख्म देता है,
खुद को अकेले ही खर्च करना है,
सादगी जिंदगी का एक पहलू,
मैंने महफ़िल की राह छोड़ दिया।।

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13 JAN 2022 AT 23:09

मुझे,
कौन दे दिल को तसल्ली मेरे,
कौन मिन्नत करेगा पत्थर से,
कौन महबूब को समझाऐ मेरे,

चादर की सिलवटें दिखाऊँ किसे?
कौन तकिये का हाल पूछेगा?
सबके अपने अलग-अलग किस्से,
अब डगर कौन साथ आए मेरे।।

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13 JAN 2022 AT 22:25

मैं कोई हादसा नहीं जो याद आऊँगा,
मैं एक आदत था,तुम चाहो तो बदल जाऊँगा,

मैंने तुम्हारे दिल से जबरदस्ती नहीं की है 'जाना'
तुम्हारे बस एक इशारे पर निकल जाऊँगा।।

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9 JAN 2022 AT 2:03

If there is someone,
Who knows all your flaws,
And stays,
Don't ever let that person go
Even if that mean to ask apologizes
even for not doing anything
Wrong.

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