Anurag Singh   (333ANU #Teri_Hi_Baat)
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कोई तो हो जो दिल के करीब आकर धड़कनो को पढ़ ले ❤️
Joined 17 March 2020


कोई तो हो जो दिल के करीब आकर धड़कनो को पढ़ ले ❤️
Joined 17 March 2020
24 APR AT 18:13

खुशनुमा आँखें और दिली मुस्कान...

बिन श्रृंगार के उसका सबसे प्यारा श्रृंगार है...!!

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18 APR AT 16:40

वो पुराने शहर में सड़क पार करते हुए,,,
तुमने मेरी जिस शर्ट को अपनी उँगलियों से पकड़ा था!!!
वो तुम्हारी याद में उधड़ रही है,,,
आ जाओ न सुईं धागा लेकर...!!!

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16 JAN AT 16:31

सुनो ना...
हिस्से मेरा तुम्हारा सिर "अपने सीने पर रख सुलाना बाकी है...

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15 JAN AT 14:42

रात के सन्नाटे में सिसकियों के साथ करवट बदलते हुए देखते हो कि!
तकिए की वो करवट गीली है,चेहरे पर हाथ फेरते हुए लगता है की!
आँखें सूजी हुई है

-और फिर अचानक मोबाइल की सूनी स्क्रीन देख कर "फिर से,
यूंही ही बेवजह आंसू बहने लगे तो, समझ लीजिएगा कि
आपने अपने हिस्से का रिश्ता निभाया है।।

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14 JAN AT 23:50

यादों का अलाव ,,,
और ...
ये सर्द रात !!!

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13 JAN AT 3:02

तुम जैसा चाहो वैसा सही
प्रेम मानो तो प्रेम सही...
और इंकार कहो तो मेरी मौत सही....।।

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11 JAN AT 22:57

हां नहीं आती मुझे रास,
ये महफिलें ये हुजूम,

मुझे जिंदादिल रहना है तो,
तन्हा चलना होगा...!

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17 MAY 2023 AT 8:39

मैंने उदासी में मुस्कुराता हूँ,
इतराता हूँ,
खुश हूँ... सब को बताता हूँ l

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6 MAY 2023 AT 12:04

अचानक तुम आ जाओ

इतनी रेलें चलती हैं भारत में कभी कहीं से भी आ सकती हो मेरे पास
कुछ दिन रहना इस घर में जो उतना ही तुम्हारा भी है
तुम्हें देखने की प्यास है गहरी तुम्हें सुनने की
कुछ दिन रहना जैसे तुम गई नहीं कहीं
मेरे पास समय कम होता जा रहा है मेरी प्यारी दोस्त
घनी आबादी का देश मेरा कितनी औरतें लौटती हैं शाम होते ही अपने-अपने घर
कई बार सचमुच लगता है तुम उनमें ही कहीं आ रही हो
वही दुबली देह बारीक़ चारख़ाने की सूती साड़ी कंधे से झूलता झालर वाला झोला
और पैरों में चप्पलें मैं कहता जूते पहनो खिलाड़ियों वाले भाग-दौड़ में भरोसे के लायक़
तुम्हें भी अपने काम में ज़्यादा मन लगेगा मुझसे फिर एक बार मिलकर लौटने पर
दु:ख-सुख तो आते-जाते रहेंगे सब कुछ पार्थिव है यहाँ लेकिन मुलाक़ातें नहीं हैं
पार्थिव इनकी ताज़गी रहेगी यहाँ हवा में! इनसे बनती हैं नई जगहें
एक बार और मिलने के बाद भी
एक बार और मिलने की इच्छा पृथ्वी पर कभी ख़त्म नहीं होगी

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5 MAY 2023 AT 17:37

हे दाता
हमको शक्ति दो दुःखों को झेल पाने की
हे दाता
हमकों बल दो लोगों से नहीं रोगों से लड़ने के लिए
दो हमको शक्ति
इस सुगंधित दुनिया को सूँघने की दो हमको उड़ानें ये सारी दुनिया घूमने की
हे दाता
अहंकार मत देना देना ही है तो संस्कार देना
हे दाता
घर के चादरों जितने सपने दिखाना पराए लोगों में से कुछ अपने मिलाना
अति का उत्साह न देना वैभव भी अथाह न देना
देना जरा सी आशा और देना प्रेम की भाषा
बस दाता इतनी सी है सूची पूरी कर दे इन्हें चला अपनी कूची।

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