उसके होने का अहसास था हवा में,
और वो थी भी।
मगर बदकिस्मती है की मिलना तो दूर,
एक नजर देख भी ना पाए।-
Making mistakes is better than faking perfection
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2020 Rewind (Republic vs Thakre )
बना आवाज जो सन्तो की,
उसी पर उठा सवाल था।
बेवजह बदनाम किया Republic को।
अर्नब-ठाकरे का बवाल था ।
बड़ा कठिन यह साल था।।
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2020 Rewind (Dirty Bollywood)
जो साफ दिखती थी, फिल्मी दुनिया
वहाँ नशेरियौ का गोलमाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।-
2020 Rewind (corona times)
ᒪOᑕKᗪOᗯᑎ में रुकी ज़िन्दगी,
गरीब बेचारा लाचार था।
बिमारो की एक तो गज़ब हालत,
System भी बदहाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।
मुंह धके जब बाहर निकले,
कभी मास्क - रुमाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।
हज़ारों मौत् हर दिन लोगों के,
वह चरम पर कोरोना काल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।-
2020 Rewind (vikas dubey)
वो गलत आचरण करने वाला,
बनता भक्त महाकाल का।
वो नीच था दुष्ट, पापी UP में,
जिसका कानपुर में बोल-बाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।
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2020 ᖇEᗯIᑎᗪ (delhi riots)
CAA - NRC को नकारा लोगों ने,
हुआ देश में बवाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।
एक तो सबकी नियत गलत,
दुजा अफवाहों का जन्जाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।
जान गई बेगुनाहो की,
जो मरा किसी का लाल था।
बड़ा कठिन यह साल था।।
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साव्ले उस तन को, मोहनी नयन् को
यमुना ने देखा, किया स्पर्श चरण को।
अपने भोलेपन को, दिखाया जन्-जन् को
देखा खुद की सूरत, मिला जब दर्पण तो।
बंसी मधुरम को, कृष्ण वच्नम् को
सुनते ही गोकुल, हो जाते मगन् को।
निकले जब भ्रमण को, देखा सखियन् को
पानी से लबालब, तोड़ा उस बर्तन को।
तेरे मित्रगण जो, चुराते माखन तो
दिखाकर तू लीला, सताता गोपियन् को।
तेरे वृन्दावन को, वहीं वृक्ष - वन को
मैं भी घूम आया, किया शुद्ध मन को।
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साव्ले उस तन को, मोहनी नयन् को
यमुना ने देखा, किया स्पर्श चरण को।
अपने भोलेपन को, दिखाया जन्-जन् को
देखा खुद की सूरत, मिला जब दर्पण तो।
बंसी मधुरम को, कृष्ण वच्नम् को
सुनते ही गोकुल, हो जाते मगन् को।
निकले जब भ्रमण को, देखा सखियन् को
पानी से लबालब, तोड़ा उस बर्तन को।
तेरे मित्रगण जो, चुराते माखन तो
दिखाकर तू लीला, सताता गोपियन् को।
तेरे वृन्दावन को, वहीं वृक्ष - वन को
मैं भी घूम आया, किया शुद्ध मन को।
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अगर मर जाऊँ मैं लड़ते - लड़ते
माँ को मेरी यह कह देना👇
ना झुककर मरा है, ना डरकर मरा है।
तेरे बेटे ने सहादत दिया है।
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कलम से भाव, भाव कागज़ पर,
कागज़ मेरे पास पड़ा है ।
आज कवि बनने का शौक चढा है।
विशाल समंदर, फिर उसके अंदर,
भाव विचार धुन्धते कैसे हैं?
आखिर ये कवि लिखते कैसे हैं?
पक्षियों के बिच, पक्षियों की बातें,
आसानी से समझते कैसे हैं?
फिर उन्ही से प्यार!, झगड़ते कैसे हैं?
इन्हे समझना रहस्य बड़ा है,
आज कवि बनने का शौक चढा है।-