Anurag Sharma   (Anurag Sharma)
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मन में क्या है ?🤔
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Joined 24 April 2020


मन में क्या है ?🤔
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6 OCT 2023 AT 21:11

Behtar mujhse rishta na rakhna tumhara
Or agar rakhna, to dil se nibhana tumhara !
Hum karein shiddat-e-ishq, agar dil lagana tumhara
Saare dayare par karke, hamara ho jana tumhara !
Or hum nazar par fida hone walon mein se nahi hai,
Bas hamare liye soch samajh ke tay karna, nazariya tumhara !
Dillagi samjho, to umra talak nibhana tumhara
Karz samjho ,to na chuka pana tumhara !

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17 JUN 2021 AT 9:24

हर शख्स़ में यक़ीन बनाना चाहता हूँ,
मैं बहतर को बेहतरीन बनाना चाहता हूँ ।

आंखो में ख्वाबों की एक जमीन है,
कदम बढ़ा हक़ीक़त मे तबदील करना चाहता हूँ ।

और सिर्फ जिदंगी खूबसुरत नही चाहिए,
मैं तो मौत को भी हसीन बनाना चाहता‌ हूँ ।

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26 JAN 2021 AT 0:40

सूरज डूब जाए मगर ये शाम खत्म न हो ।
आसमान में बादलों से मुलाकात खत्म न हो ।
निकला हो चांद, और हमारी बात खत्म ना हो ।
टिमटिमाते हुए तारों की ये रात खत्म न हो ।

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12 JAN 2021 AT 23:51

किसी ने कहा, बहुत कम बोलते हो...!
तुम भी अपना हाल-ऐ-दिल सुनाया करो..।

मैने कहा, हाल-ऐ-दिल मेरी किताबों से पूछो...!
उन अनकहे किस्सों से वही वाकिफ है... ।

दिल की दास्तान यूं ही नहीं सुनाया करता हूं...।
कलम सियाही से मखमली पन्नों को कुरेद के बयान करता हूं.. !

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1 NOV 2020 AT 7:29

आजकल !!



सफर नहीं है और कहीं ... खुद से वाकिफ हो रहा हूं आजकल ।

मेरे होठों पर हंसी ना सही ... अंदर से मुस्कुरा रहा हूं आजकल ।

अब कोई उम्मीद ना रही ... शौक पूरे कर रहा हूं आजकल ।

सिर्फ पन्ने सियाहि से नहीं ... ज़िन्दगी रंगों से भर रहा हूं आजकल !

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31 AUG 2020 AT 22:13

आजकल भागदौड़ भरी ये ज़िन्दगी है ,
थोड़ा असमंजस में हूं इसी बात से ।

दिन पर दिन बीतते जा रहे हैं ,
सामना नहीं कर पा रहा अभी वक़्त की रफ्तार से ।

मैं सबको पसंद आऊं या ना आऊं ,
है हुनर दिलों को जीतने का मुझमें भी अपने मिजाज़ से ।

मैं ज़्यादा जियूं या ना जियू ,
लेकिन जीता था और जियुंगा अपने अंदाज से ।

मेरे माथे कि शिकन जाएगी ज़रूर एक दिन ,
एक दिन टकराऊंगा वक़्त और हालात से ।

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19 JUL 2020 AT 21:41

यूंही नहीं में कोई बात लिखता हूं,
अपने हालात नहीं, उनका अंजाम लिखता हूं ।

शब्दों से मेरे मन का कुछ यूं मेल है,
अपने अल्फ़ाज़ नहीं, जस्बात लिखता हूं ।

समझ सको तो समझ लो मुझे,
अपने राज़ नहीं, अपने अंदाज लिखता हूं ।

हा! पसंद है खामोश रहना मुझे,
कलम से अपनी आवाज़ लिखता हूं ।

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9 JUL 2020 AT 10:08

आज काली रात है,
कल सवेरा होगा ज़रूर ।

अभी संघर्ष ज़्यादा है,
एक दिन आराम मिलेगा ज़रूर ।

आज कोशिशें नाकाम रही,
एक दिन कामयाबी मिलेगी ज़रूर ।

मुझे यकीन है खुद पर,
क्यों ना करूं इस बात का गुरूर ।

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30 JUN 2020 AT 23:15

आज गर्मी पर हमला हुआ है ,
हवा का रुख भी कुछ बदला हुआ है ।
ये ठंडी हवा क्यों रूह को छूकर जा रही है ,
ना जाने कानों में क्या गुनगुना रही है ।

काले बादल कितनी जल्दी आ रहे है ,
चमकती चिलमिलाती धूप को छिपा रहे है ।
आज बड़ी ज़ोर से गड़गड़ा रहे है ,
शायद आसमान पर अपना राज जमा रहे है ।

पानी की बूंदे मुझे धीरे धीरे भिगा रही है ,
तपती ज़मीन को ठंडक पहुंचा रही है ।
टिप-टिप का हल्का शोर मचा रही रही है ,
मेरे मन को सुकून पहुंचा रही है ।

हां ! बारिश आ रही है.....

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5 JUN 2020 AT 7:56

कब तक जंग करोगे मुझसे ?
कब तक मेरे हौसले आजमाओगे ?
में हवा हूं , निरंतर बहता हूं ।
आजमाकर तुम थक जाओगे ।

कब तक ज़ोर करोगे मूझ पर ?
एक दिन कमजोर हो जाओगे ।
मैं रेत हूं , तुम चट्टान की भांति
एक दिन टूट जाओगे ।

कटु शब्दों से वार करोगे !
कब तक मेरा धीरज परखोगे ?
शांत समुंदर हूं मैं , पत्थर तुम हो !
मेरी खामोशी में डूब जाओगे !

मेरी खुशी तुम क्या छीनोगे !
क्या मेरे इरादे तोड़ पाओगे ?
मैं नदी हूं , अपनी राह ढूंढ लूंगा ,
तुम एक दिन बिखर जाओगे !

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