“बहुत हसीन रही थी नजदीकियाँ हमारी,
यकीनन फासले तो जानलेवा होने ही थे।”-
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मैं नदी तो,
तुम समन्दर हो,
चला कंही से,
पर तुम पर ठहरा हूँ,
मैं चाँद-सा,
रौशन हुआ तेरी रौशनी से,
एहसासो के पर्वतो पे,
तेरे संग चढ़ता हूँ,
मुझे अब अपनी,
पनाहो में जगह दे दो,
मुझे तुमसे,
बे-पनाह मोह्हबत है,
तुम भी थोड़ा सा,
मोह्हबत दे दो "-
जागने की इजाजत नही देते तेरे ख्वाब मुझे
मैं तो चाय के बहाने उठ जाया करता हूँ..!!-
न चाहत,न मौहब्बत, न इश्क और न वफ़ा ।।
कुछ भी तो नही था उसके पास एक हुस्न के शिवा-
शराब जैसा किरदार है मेरा साहब,
किसी को हद से ज्यादा प्यारा हूं
तो किसी को नाम से ही नफरत है..-
उदास मन को जबरन हंसाना होता है,
जो नहीं होता है वही दिखाना होता है.!-
संभल कर बोलो बात दूर तक जाएगी,
इश्क है तो हां कर दो...
वरना बहुत देर हो जाएगी.!-
तुम इश्क़ करो और दर्द न हो..
मतलब दिसंबर की रात हो और सर्द न हो..-
मैंने हर कमरे में तस्वीर लगा ली तेरी,
अब तो जन्नत से भी बढ़कर मेरा घर लगता है ।-