वो बातें खा गयी मुझको, जो बातें पी गया था मैं !!
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मानता हूँ तू अकेला है बहुत और थक चुका है
पीठ में खंजर गड़े हैं, स्वेद-शोणित बह चुका है
है मगर तू वज्र की तलवार इतना जान ले बस
जंग में ही, वज्र का है ज़ंग मिटता, प्राण ले बस
शौर्य के तेरे ही किस्से वीर-पुत्रों ने सुने हैं
युद्ध के मैदान तूने खुद चुने हैं !-
ऐ वक़्त, जरा अदब से पेश आ..
क्योंकि वक़्त नहीं लगता है वक़्त बदलने में..-
गहराई...
कुछ रिश्ते हैं
......इसलिये चुप हैं,
कुछ चुप हैं
......इसलिये रिश्ते हैं !!!-
जब राख बनेगा ये सूरज
और धूप धुआं हो जायेगी
तब भी तू मेरे संग रहना...
जब उम्र की आवारा बारिश
सब रंग मेरे धो जायेगी
तब भी तू मेरे संग रहना...
जब वक़्त करेगा छल मुझसे
तक़दीर खफ़ा हो जाएगी
तब भी तू मेरे संग रहना...-
है मगर तू वज्र की तलवार इतना जान ले बस
जंग में ही, वज्र का है ज़ंग मिटता, प्राण ले बस
शौर्य के तेरे ही किस्से वीर-पुत्रों ने सुने हैं
युद्ध के मैदान तूने खुद चुने हैं !
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"लफ्जो" का इस्तेमाल हिफाजत से करिये,
ये "परवरिश" का बेहतरीन सबूत होते हैं...-
मिजाज में थोड़ी सख्ती लाजमी है साहब...
लोग पी जाते अगर संमदर खारा ना होता...-
दिल की बात साफ साफ कह देनी चाहिए
क्योंकि...
बता देने से 'फैसले' होते हैं और ना बताने से 'फासले'..।।-
एक परवाह ही बताती है कि खयाल कितना है..
वरना कोई तराजू नहीं होता रिश्तों में।।-