15 FEB 2019 AT 17:00

देश है पुकारता, पुकारती है भारती। खून से तिलक करो गोलियों से आरती।
हित-वचन नहीं तूने माना, मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ, अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ।
याचना नहीं, अब रण होगा,
जीवन-जय या कि मरण होगा।
टकरायेंगे नक्षत्र-निकर, बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर,
फण शेषनाग का डोलेगा, विकराल काल मुँह खोलेगा।
पाकिस्तान! रण ऐसा होगा।फिर कभी नहीं जैसा होगा।
बुझी राख मत हमे समझना, अंगारो के गोले हैं |

देश आन पर मिटने वाले, हम बारूदी शोले हैं || हम सब ख़ौफ़ नही खाते हैं, विध्वंसक हथियारों से | सीख लिया है लड़ना हमने, तुझ जैसे मक्कारो से ||

- अनुराग पांडेय