हम भी तेरी राह ताक रहे है
एक फूल हमें भी दे तोहफ़ा
हम एक अरसे से
गुलिस्तां बाट रहे है!..-
हम भी तेरी राह ताक रहे है
एक फूल हमें भी दे तोहफ़ा
हम एक अरसे से
गुलिस्तां बाट रहे है!..-
बच कर रहा कीजिये इन
मीठी मुस्कान वालो से
इनकी आँखों में जो दर्द है
उसकी दावा नहीं है कोई!...-
न जाने कितने ख़्वाब पलते है
हम सो भी गए तो फर्क क्या
ख्वाब है जागा करते है।
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अकेलापन ही बेहतर लगा मुझे
यू किसी के साथ रहने से
जो आपका न हो सके और
आपको आपका रहने भी न दे!...-
प्रकृति का वो छोर जहाँ
कितने पहाड़ लांघ
आसमा से बरसता और
पिघल कर बहता नदियों में
गुज़रता तंग अरण्यों से
नभ मिल ही जाता है
उस प्रेम को आकुल धारा से
मैं उस छोर की तरह
तुम्हें अपना प्रेम लिखूंगा!...-
क्यू ये खुदकुशी करने चले ही
ये वो सागर है जिसमे नदियां समा जाती है
और तुम बूंदों से घड़ा भरने चले हो!...-
उस पर वो बेवजह कुछ नहीं करता है
ठोकरों से जगाता है
इंसानों को बार-बार
सोते पंछी को गिरने नहीं देता है!..
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आफ़ते तो बहुत देख ली
कोई आदत अब हमको लग जाए
मैं बया करू वफ़ा-ऐ-इश्क़ उनसे
और वो आकर गले लग जाए!...-