Anurag Nautiyal  
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Joined 29 May 2020


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Joined 29 May 2020
9 APR AT 23:02

पता नही कितने दिनों बाद , ये भाव आया है।

कई सालों के बाद मैने खुद को , आज अकेला पाया है ।।

रात है , चांद है , चांदनी है , है सितारे हजारों ,

पर फिर भी दिल की गहराई का अंधेरा काम नहीं होता यारो ।

टूटे शीशे के हर एक हिस्से पर , अपना किरदार उभर आया है ।

कई सालो के बाद मैने आज मैने खुद को अकेला पाया है ।।

बीता पल कोई परछाई है , जो आज अंधेरे में नजर आई है ।

कर्मो की स्याही से लिखी किताब , आज मुझे पढ़ने आई है ।

इस काली रात में , आज मुझे जुगुनों ने मुझे बहुत डराया है ।

कई सालों के बाद आज मैने खुद को अकेला पाया है।।

By - anurag Nautiyal

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22 APR 2022 AT 15:46

What makes the time conquerable....???

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2 APR 2022 AT 22:37

सिरहट सी रगों में ,एक रीझ मुस्कराती है ,

धीमे - धीमे वो हंसी दिल में उतर जाती है ,

फूलों का खिलना सा एक रूहानी एहसास है

बारिश की बूंदों को आज सावन की प्यास है ।

- अनुराग नौटियाल

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13 FEB 2022 AT 22:37

(शक्ति )

शक्ति कहां मिलती है , कहां सृजित होती है ?

कहां केंद्र है धाराओं का , कहां श्रृष्टि रचित होती है ?

किस बल से नौकाएं , सागर का हृदय चीर जाती है ?

और बना फिर अपना पथ , मंजिल तक जाना सीख जाती है ।

कहां केंद्र है उस शक्ति का, जो दीपक में बसता है ,

खुद जलकर भी पल पल , वह अंधकार को हरता है ।

कष्ट हमेशा अनुभव तक है , पीड़ा की उम्र छोटी है

ठान ले जो कुछ करने की , अंत में जीत उसी की होती है ।

(अनुराग नौटियाल)

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15 JAN 2022 AT 18:54





Having the blessings of god .....

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4 JAN 2022 AT 23:20

Your struggle accumulate the power ..

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30 DEC 2021 AT 0:21

आज मैने खिले गुलाब को रोते हुए देखा है ,

फिर चांदनी को दूर होता देखा है।

- ( अनुराग नौटियाल)

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30 DEC 2021 AT 0:12

No one loves as much as a monster 👹

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7 NOV 2021 AT 18:37

स्वप्न हमारे तारे जैसे , इच्छाएं पूरा आकाश

आंसू दिखते बारिश जैसे , खूब बरसने की है आश ।

नन्हीं आंखे अक्सर , बोझ नहीं सह पाती तारो का

खिले फूल मुरझा जाते है , जब मौसम टलता बहारों का ।

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6 NOV 2021 AT 16:59

हर रोज जानें क्यों मैं ये , पाप कर रहा हूं ।

किसी और के हक से , मैं आज भी प्यार कर रहा हूं ।।

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