Anurag Mishra   (Anurag Mishra)
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Still learning
Joined 23 April 2018


Still learning
Joined 23 April 2018
3 NOV 2022 AT 0:17

तेरे होते हुए भी गिरते है आंसू मेरे
तू अपने बाद का मेरा हाल जरा सोच तो सही।
किसी एकांत में जाकर कभी ढूंढू मैं खुद को
पर एक पल जरा खुद की होश आए तो सही।
तेरे कदमों तले रख दू दुनियां की तमाम खुशियां
तू हल्का सा एक कदम आगे बढ़ाए तो सही।
पी जाऊं तेरे होंठो से वो मीठा सा सरगम
तू उन गुलाबी होंठों से जरा मुस्कुरा तो सही।
तेरी आंखों में डूब कर तेरे आंसुओं से लड़ जाऊं
तू इन आंखों में मेरा ख्वाब लाए तो सही।
तेरी जुल्फों के आंचल में बीता दूं ये जिंदगी
तू खोल कर इन जुल्फों को लहराए तो सही।
तेरी हाथों की लकीरों में किस्मत बन कर बस जाऊं
तू किसी फकीर को अपना हाथ दिखाए तो सही।
मेरे शहर की गलियों को मैं रोशन कर दूं
तू मेरी दहलीज तक कभी आए तो सही।
तेरे घर के सामने बसा लूं मैं अपना आशियाना
तू कभी छत पर किसी बहाने आए तो सही।
बताना चाहता हूं तुझे दिल की सारी तकलीफे
तू कभी मेरे हालात पूछने आए तो सही।
तेरी दहलीज पर छोड़ आऊ रूह अपनी
तू किसी पीर मजार पर मेरा हादसा मांग आए तो सही।
तेरे होते हुए भी गिरते है आसूं मेरे
तू अपने बाद का मेरा हाल जरा सोच तो सही।

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16 OCT 2022 AT 0:59

यूं ही नहीं उतर पाता कोई,
मेरी कविता में या मन में
तुम जो उतरे हो तो,
जरूर तुम में कुछ खास बात होगी।

यूं तो समुंदर सा दिल है मेरा,
नदियां खुद मिलने आती है
मैं तुम्हारे से मिलने आया हूं,
जरूर मुझमें कोई प्यास होगी।

लोगो ने पूछा मुझसे ये,
इतने अल्फाज किसके लिए बयां करते हो
मैं कुछ बोला नहीं तो लोगो समझा,
जरूर किसी फरिश्ते की तारीफ होगी।

अभी तो लड़ रहा हूं,
तुम्हे पाने की जंग हर दिन जिंदगी से
जिस दिन जीत गया,
ये मोहब्बत सरेआम होगी।

एक कोहिनूर सा हीरा हो तुम,
यूं ही मुझे मत मिल जाना
जब होगा मिलन तुम्हारा हमारा
तुम्हारी कद्र खुद की जान से ज्यादा होगी।

पूछता हूं हर दिन खुदा से ये सवाल
वजह क्या है तुम्हे मुझसे मिलने की,
शायद उसके पास हमारी लिखी हुई
एक खूबसूरत कहानी होगी

यूं ही नहीं किसी को इतना चाहता
जरूर तुम में कोई खास बात होगी।

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10 OCT 2022 AT 2:21

मैं कहना नही चाहता पर सच ये है की तुम्हारी बहुत याद आती है
मैं रोना नहीं चाहता पर सच ये है की तुम्हारी तस्वीरे रुला जाती है
तुम्हारी दी गई अंघूटी को उतार कर रखा है
तेरे साथ बिताए उस पल को सोच कर मेरी आंखे नम हो जाती है
दिन भर सोचता हूं तुझे पाने के लाख तरीके
रात आते आते मैं तो जीत जाता हूं पर जिंदगी हार मान जाती है
माना की थोड़ा मुश्किल दौर चल रहा है जिंदगी का
प्यार सच्चा हो तो जुदाई भी ताकत बन जाती है
थक जाता हूं कभी कभी मैं तेरे ख्वाबों को हकीकत बदलने में
मेरी दिन भर की थकान सिर्फ तेरे मुस्कुराने से उतर जाती है
कौन कहता है दूर रह कर मुलाकात नहीं होती
तू दिन भर में न जाने कितनी दफा मुझे ख्याल बन कर छू जाती है
उलझ जाता हूं कभी कभी कुछ फैसले लेने में
फिर तेरी कुछ पुरानी बाते मेरे हर सवाल का जवाब बन जाती है
सो जाया करता था कभी जो शक्स बिना किसी फिक्र के
आज सोए अगर तो राते तुझे खोने का एहसास दिलाती है
जो कभी दिन में न करता था मेहनत कुछ पाने की
आज उसको राते भी कम पड़ जाती ही
मैं बताना नहीं चाहता पर सच ये है कि तुम्हारी कमी मुझे सताती है
मैं कहना नहीं चाहता पर सच ये है कि तुम्हारी बहुत याद आती है

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15 SEP 2022 AT 0:14

मिट्टी भी जमा की,
खिलोने भी बना कर देखे
पर जिंदगी दोबारा न मुस्कुराई
बचपन की तरह।
एक दौर था जिंदगी का
सब दोस्त आवारा हुआ करते थे
पैसा भले ही नही थे
पर खुश दिल से हुआ करते थे
वो सुबह में एक दूसरे से
मिलने की आस किया करते थे
साइकिल भले ही छोटी थी
पर सपने आसमान छुआ करते थे
जात मजहब को किनारे कर
हर एक से हाथ मिला लिया करते थे
क्या ज़माना था वो जब जेब खाली
और ख्वाइश महल की करते थे
आज पैसे भी जमा किए
उड़ा कर भी देखे
पर जिंदगी दोबारा चल न पाई
बचपन की तरह।
न उम्मीद थी कुछ पाने की
न कुछ खोने के डर हुआ करते थे
एक टूटी सी साइकिल लेकर
पूरा शहर नाप दिया करते थे
ज्यादा कुछ नही बस पास हो जाए
सिर्फ इतना पढ़ लिया करते थे
काम न पूरा होने पर किसी रिश्तेदार को
परलोक पहुंचा दिया करते थे
आज इज्जत भी कमाई
शोहरत भी हासिल की
पर जिंदगी दोबारा न जी पाए
बचपन की तरह।
दोस्त के जन्मदिन पर
एक समोसे से काम चला लिया करते थे
बिना करे कल की फिक्र
हर रात चैन से सो जाया करते थे
न किसी से कोई उम्मीद थी
न किसी से कोई वादे
हम खुद अपनी जिंदगी के मालिक हुआ करते थे
आज नींद भी लेकर देखी
चैन की भी तलाश की
पर जिंदगी दोबारा वो सुकून न ले पाई
बचपन की तरह।

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10 SEP 2022 AT 1:33

वो कद में थोड़ा कम है मुझसे
मैंने दर्जा उसे अपने से ऊपर दिया है
कभी कभी थोड़ा गुस्से में ज्यादा रहती है
मैंने उसके गुस्से को भी उसका प्यार मान लिया है
मेरी जिंदगी में रोक टोक करती बहुत है
मैंने इसको भी उसका हक मान लिया है
मंदिर जरा कम जाता हूं आज कल
जबसे मैने उसे ही खुदा मान लिया है
नहीं रह गई कोई तमन्ना अब मेरी खुदा से
मैंने उसको ही कुदरत का सबसे खूबसूरत तोहफा मान लिया है
आज कल लोगो से मिलता कम हूं
जबसे उसके अंदर अपनी दुनियां को पहचान लिया है
लोग पूछते है अक्सर उसके बारे में
मैंने भी उसको सबसे छुपाने का ठान लिया है
भूल जाता हूं कभी कभी खुद का भी हाल
जबसे इस जुबान से उसका नाम लिया है
खुद से ज्यादा भरोसा उस पर करता हूं
शायद मैंने उसे उससे भी ज्यादा जान लिया है
किन शब्दों से करूं मैं उसकी सादगी का वर्णन
उसके आगे तो चांद भी हैरान हुआ है
ताज जैसे अजूबे को इमारत कहने लगा हूं
जबसे उसकी आंखों ने मेरी आंखों पर राज किया है
बहती नदियों और पहाड़ों में अब मुझे सुकून नहीं मिलता
जबसे उसकी काली जुल्फो की घटाओ ने मुझे पर पहरा दिया है
इन हाथों की लकीरों पर अब मुझे विश्वास नहीं
जबसे मैंने अपनी किस्मत का हाथ थाम लिया है
उससे मोहब्बत करके मैंने इतना तो जान लिया है
सिर्फ मैंने ही नहीं उसने भी मुझे अपना सब कुछ मान लिया है

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28 AUG 2022 AT 12:57

कैसे बताऊं क्या हो तुम।
सुबह का पहला ख्याल हो तुम
रात की आखिरी याद हो तुम
मेरे शब्दों में समाए जज़्बात हो तुम
मेरे गीतों में सुरीले साज हो तुम
मेरी जिंदगी का एक राज हो तुम
मेरी इबादत में भगवान हो तुम
कभी न बुझने वाली प्यास हो तुम
हर वक्त का एहसास हो तुम
कुछ हासिल करने का साहस हो तुम
मेरे जिस्म से लिपटा लिबास हो तुम
इस रिश्ते का अभिमान हो तुम
मेरे से जुड़ा एक नाम हो तुम
मेरे चेहरे पर रहने वाली मुस्कान हो तुम
मेरे गुरूर की पहचान हो तुम
सावन की पहली बरसात हो तुम
मेरी जिंदगी को मिला सम्मान हो तुम
मेरी खामोशियों की आवाज हो तुम
मेरी रूह में बसने वाली सांस हो तुम
पानी पर लिखी गई लिखावट हो तुम
कुदरत की बनाई बनावट हो तुम
दिवाली पर की गई सजावट हो तुम
होली पर उछाले गए रंग हो तुम
ईद का निकला चांद हो तुम
पेड़ों की ठंडी छांव हो तुम
अपनेपन में लुफ्त एक गांव हो तुम
मेरी मांगी गई पहली मन्नत हो तुम
मेरी छोटी सी दुनिया में जन्नत हो तुम
मेरी मोहब्बत की शान हो तुम
इतना सब है तुझमें
शायद इसीलिए मेरी जान हो तुम।

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22 AUG 2022 AT 0:20

एक रोज महफिल में सबने मेरी कहानी पूछी।
मैं सुनाने लगा लोग हसने लगे
कहानी आगे बढ़ती गई लोग सपने संजोने लगे।
उस कहानी में कुछ ने अपने पलों को याद किया
कुछ अपने ही ख्यालों में खोने लगे।
उसका जिक्र आया अल्फाज लोगो को छुने लगे
कुछ हसीन पलों की याद में बोतले खुल गई
जाम पर जाम लगा कर लोग मदहोश होने लगे।
कहानी के कुछ किस्से लोगो के दिलों में उतरने लगे
कुछ अपनी जंजीरों को तोड़ अपनो के होने लगे।
कुछ खास बताया नहीं था मैने उस कहानी में
लोग आधी ही सुन कर भावुक होने लगे।
सोच कर गया था सुनूंगा कुछ किस्से ओरो के सफर के
पर वहां सब लोग मेरी कहानी सुनने को बैचेन होने लगे।
लगता था मुझे शायद मेरा सफर कुछ खास नहीं
पता तब चला जब कहानी खत्म हुई
तालियां बजती रही लोग रोने लगे।।

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16 AUG 2022 AT 3:18

सफर तुम्हारे साथ बहुत छोटा रहा
पर तुम यादगार बन गए जिंदगी भर के लिए।
जब देखा तुम्हे पहली दफा
हम मोहताज बन गए उम्र भर के लिए।
याद है मुझे वो पल तुम मेरे पास आई थी
आकर तुमने अपनी कुछ बाते बताई थी
एक पागलपन सा था तुम्हारी बातों में
वो लम्हे मेरे बेमिसाल बन गए उम्र भर के लिए।
सोचा न था में तुमसे कभी मिल पाऊंगा
मिला तो लगा अब बिछड़ नहीं पाऊंगा
बिचड़ा तो लगा जिंदा न रह पाऊंगा
फिर तुमने एक वादा किया न जाने का
एक दूसरे की हम आवाज बन गए उम्र भर के लिए।
याद है मुझे वो पल जब पहली दफा मैं तुम्हारे सामने आया था
थी तुम सामने एक पेंसिल से तुमने अपना हल्का सा होंठ दबाया था
मैने भी देखा था पहली दफा एक ऐसा इंसान
जिसने चांद को भी उसके दाग का एहसास दिलाया था
और आज उसी पल के हम कर्जदार बन गए उम्र भर के लिए।
मैने प्यार का इजहार किया तुमने पहले इनकार किया
माना की जमाने की लाखों बुराइयां है मुझमें
तुमने मुझे फिर ऐसे ही स्वीकार किया
माना की कहने में शायद थोड़ी देर हो गई
पर अब जब तुमसे किया फिर और किसी से न किया
इसी तरह तुम एहसास बन गई उम्र भर के लिए।
क्या मंदिर क्या पीर मजार कहां मांगू में तुझको
तुम हर इबादत में खुदा बन गए मेरे जिंदगी भर के लिए।
सफर भले ही छोटा रहा हो हमारा
पर तुम यादगार बन गए उम्र भर के लिए।।

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10 AUG 2022 AT 23:13

वो उससे शायद एक पहली मुलाकात थी
रात बड़ी बैचेन सिर्फ उससे मिलने की आस थी
सोए न थे हम दोनो ही उस रात
कभी मैं उसके खयालों में तो कभी वो मेरे पास थी
यूं तो राते ना जाने कितनी गुजारी
पर उस रात की एक एक घड़ी बेहद खास थी
पहले पहर जब आंख खुली
देखा खिड़की से तो बाहर बरसात थी
पल भर को आया रुकने का खयाल
पर शायद ये बूंदे ही मेरे इश्क की पहचान थी
कर रहा था मैं इंतजार उस बरसात की झड़ी में
जब वो आई सड़के भीगी गलियां सुनसान थी
देखा न उसने पल भर भी मेरी तरफ
दुनिया का डर था या मोहब्बत के इरादो से अंजान थी
कुछ पल के लिए मैं उसके साथ चला
एक इशारा कर कही उसने कोई बात थी
शब्दो से उसने कुछ कहा नहीं
एक दूसरे का चेहरा पढ़ लेना ही इस रिश्ते की बुनियाद थी
वो धीरे से मेरे पास आई लेकर एक कागज़ का टुकड़ा
वो चिट्ठी सारी रात मेरे बारे में सोचने का परमान थी
वो जाते जाते मुस्कुरा कर रोने लगी
शायद उसकी चिट्ठी में कोई उसकी आवाज थी
बैताबी से खोला जो वो खत ज्यादा कुछ नहीं
सिर्फ लिखा था उसने "यह हमारी आखिरी मुलकात थी"
इतना पास आकर भी तुमसे तुम्हारा न हो पाया
क्या कहूं शायद मेरी ही किस्मत खराब थी।

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5 AUG 2022 AT 23:46

आज कल लड़का बदला हुआ सा लगता है।
चेहरे पर नूर, बातों में गुरूर था जिसके
आज कल कुछ सहमा सहमा सा लगता है।
समझाया करता था अक्सर दुनिया को वो
आज खुद को समझाने में उसे एक वक्त लगता है।
भीड़ में तो मुस्कुराहट बरकरार रखता है
न जाने क्यों अकेले में रोने लगता है।
कुछ तो हुआ होगा उसकी जिंदगी में
यूंही नहीं ये लड़का बदला हुआ सा लगता है।
हुआ करते थे कुछ यार जान उसकी
आज उन्हीं से फांसले करने लगता है।
होती थी जिसकी विनर्मता की तारीफ
आज कल हर छोटी बात पर लड़ने लगता है
जिसकी चंचलता को लोग उसकी पहचान समझते थे
आज कल सबसे उखड़ा उखड़ा सा लगता है।
सुनाया करता था अक्सर अपनी मोहब्बत के किस्से
आज कहीं बात हो मोहब्बत की तो वहां से उठने लगता है।
जीता न था आज तक उससे बातों में कोई
न जाने क्यों आज कल चुप चुप सा लगता है।
हर सवाल का जवाब रहता था जिसके पास
आज कल खुद ही वो एक सवाल सा लगता है
भीड़ की वजह बने रहना शौंक था जिसका
आज कल उसे अकेलापन अच्छा लगता है।
कोई किस्सा शायद उसका अधूरा सा लगता है
ये लड़का आज कल बदला हुआ सा लगता है।।

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