अगर शाम तुम बन जाओ मेरी ,
पंछी सा लौट आऊंगा मैं। ❤️
(Read full in caption)— % &-
लेखक हूं मैं तो कागज़ों को काम दूं।
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ये सब खैरख्वाह ,मेरी खैर चाहते है,
मेरे ही आशिक़ से मेरी बैर चाहते है।— % &-
क्या भगवा क्या हिजाब,
कौन अल्लाह कौन भगवान हो गया ,
दिख रही है नफ़रत हर जगह पे,
जाने कैसा ये इंसान हो गया।— % &-
वर्षो दबी आग का प्रतिशोध है ये,
मेहनत करते छात्रों का क्रोध है ये,
वायदे ,भाषण ,विवाद से ये रुकेगा नही,
नए भारत का युवा है ये, मर जाएगा मगर झुकेगा नही।— % &-
आए कई खरीदार इश्क के बाज़ार में,
कई बर्बाद हुए ,कई खाली हाथ घर गए,
हम ठहरे शायर, कवि ,कहानीकार,
हम इश्क से हुए, इश्क में रहे और इश्क में ही मर गए।-
मैं घर जाऊं भी तो किसके लिए,
कोई राह तकता नहीं,
मैंने देखे है कई मरीज़ आशिकी के,
सब दर्द चाहते है ,कोई इलाज़ चाहता नही।-
कद्र नही तुम्हारे होठों की,
तुम्हे जो हंसाए मुबारक तुम्हे जो रुलाए मुबारक,
तुम्हे तुम्हारी जीत मुबारक,
हमे हमारी चाय मुबारक।-
बेकार ही आधुनिकता से नवाज़ा गया ,
हम सुरक्षित थे सादे जहां के नीचे,
ये गलियां बहुत खुश थी बच्चो की किलकारियों के शोर से,
ये ज़मीं आज वीरान है खुले आसमां के नीचे ।-
इतना करीब मत आ,तेरी आदत होजाएगी,
तुम तो हंस के कह दोगी जात का मामला है कुछ मुमकिन नहीं,
यहाँ मेरी आफत हो जाएगी।-
जाने किस अकड़ में रह रहे थे हम,
अकेले पन को जिंदगी कह रहे थे हम,
चार कांधों को तरसती लाश देखी तो समझ आया,
जीते जी मौत सह रहे थे हम।-