सपनों में देखता हूं हर बार,
आसमां में बादल और सूरज को,
कभी सुनता हूं गिहलेरियों और
पक्षियों की आवाज़,
तो कभी बस बिना कुछ सोचे,
इन सबको देखा करता हूं,
कभी इन्हें महसूस करता हूं,
तो कभी इन्हें देखकर हस्ता रहता हूं,
पर जब आंखें खुलती हैं मेरी,
तो सपना अपने आप ओझल हो जाता हैं,
हमेशा सोचता हूं, काश यह सपना हकीकत में बदल जाए,
और अगर नहीं, तो यहीं प्रार्थना करता हूं,
कि यह सपना मेरे मन के किसी एक कोने में हमेशा मेरे साथ रहे।
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