उस चाँद के हुस्न के आगे जाने कितने बादल गरजते है,
रोशनी कम हो या जायदा चाँद की…
हमारे जैसे वीराने जंगल ही उसकी चाँदनी को तरसते है।-
सच में यह आदत बहुत निराली, दुनिया... read more
मेरी जिंदगी ख़ुशनुमा थी तेरी मुसकान से पहले,
मुझे अकेले की आदत थी तेरी आदत से पहले,
ऐसे बिछड़ने के लिए ही मिली थी तो यार…
जान ही ले लेती मेरी मुझे छोड़ने से पहले ।-
तेरी मुस्कराहट मेरे साथ होने से मुझे सब कुछ घर लगता है,
किसी और के साथ देख लू तुझको गर…
तुझे छूने वाली हवा से भी तुझको खोने का डर लगता है…-
हर रोज़ अब यूँ आम ना होगी
वो पहली सी फिर शाम ना होगी
मिल जाता अगर वो तेरा इश्क़ ही क्या
अब ख़ुशी तो होगी पर खुलेआम ना होगी …-
वक्त की आदत को वक़्त पे छोड़ दिया है
कोशिश की आँधियों को मंजिलो पे मोड़ दिया है
पत्थर सी लकीरों को हिम्मत से तोड़ दिया है
थक गई क्या ज़िंदगी ?
मैंने अपने ख्वाबों को आसमान से जोड़ दिया है
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आशिक़ों की ज़िंदगी दुहाई देती है ,
हर जगह प्यार की बरसात होती है ,
डूब जाते इसमें कितने ही हमसफ़र ,
इश्क़ की सजा बस तनहाई होती है ।
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देखो दुनिया की भट्टी में जाने कितने शोले है
क़िस्मत की करनी पे जाने कितने महात्मा बोले है
महल बने जो तसवीरों के खुद्दारों ने तोले है
दिख रही जो चकाचौंद सी सब माया के गोले है
बस मर्ज़ी उसकी होती यहाँ सब उड़न-खटोलें है..-
ऐसे तो तेरा बस एक फूल काफ़ी है समझाने को मुझे
वैसे तो कोई ख़ुदा मुझे समझा भी नहीं सकता
ऐसे तो तेरी बस एक याद काफ़ी है रुलाने को मुझे
वैसे तो कोई समंदर मुझे डूबा भी नहीं सकता
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सपनों की कितनी मंज़िलो में से कोई एक तो मेरी होगी ही,
सूरज की कितनी किरणों में से कोई एक तो मेरी होगी ही,
पत्थर को चटकाने वाली बूँदो में से कोई एक तो मेरी होगी ही,
थक जाएगी जब ये ज़िंदगी मुझे हराते-हराते…
मेरी हिम्मत की एक और ललकार के आगे ये ज़िंदगी मेरी होगी ही ।
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खुरखुरा सा कोई ख़्वाब है
दरदरा सा मेरा मन बैठा,
होश में हर जवाब है
ख़ुद का जब से मैं बन बैठा ।-