चंद लफ्जों में हर बात कह गए
वो अपनी कविता से छुपे हर एहसास कह गए,
तालियों के शोर में खो गयी महफ़िल उनके लिए
और वह बस उन निगाहों के उठने का इंतज़ार करते रह गए।
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In search of meaningful words ... read more
Kheleng rang khelenge gulaal, bhula kar har sikwe har malaal, jalayenge burai holika ki raat aur sajayenge duniya holi ke naye rangon ke saath.
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तेरे साथ आज हूँ फिर कल की कोई फ़िक्र नहीं,
मेरी दुनिया में तेरे सिवा किसी और का ज़िक्र नहीं,
बस गयी हो तुम उस रब की तरह दिल में,
इबादत से कम मेरा यह इश्क़ नहीं |-
हम ढूंढते रहते है जमाने भर में
और वो हमारे अंदर हमारे साथ ही रहती है
कभी मायूस रहती तो कभी मुस्कुराती है
यहां कुछ नहीं रहता एक सा ये सीख सिखाती है।-
तेरी एहमियत
मेरी हर दुआ पर तेरा नाम
मेरी हर रेहमत पर तेरा हक़,
मेरी इस ज़ालिम ज़िन्दगी का
तू बस एक खूबसूरत सबक |
मेरी हर सांस है तू
इस धड़कन की तू हर धड़क
मुझे हर मंजिल तक ले जाये
तू है वो सड़क |
तुजसे है दीवानगी जैसी मोहब्बत
ज़िंदा रखने को काफी तेरी बस एक झलक
रोशन है दुनिया मेरी
तेरा नूर है इसमें जब तलक |-
तेरी एहमियत
मेरी हर दुआ पर तेरा नाम
मेरी हर रेहमत पर तेरा हक़,
मेरी इस ज़ालिम ज़िन्दगी का
तू बस एक खूबसूरत सबक|
मेरी हर सांस है तू
इस धड़कन की तू हर धड़क
मुझे हर मंजिल तक ले जाये
तू है वो सड़क
तुजसे है दीवानगी जैसी मोहब्बत
ज़िंदा रखने को काफी तेरी बस एक झलक
रोशन है दुनिया मेरी
तेरा नूर है इसमें जब तलक |-
वो क्या मुलाकात थी
ज़रा सी बात थी
सोचा था उसे एक लम्बा खूबसूरत दिन
पर वह जैसे बस एक छोटी रात थी,
साथ थी जन्नत की हर ख़ुशी तू जो साथ थी
तुझसेजुदा होकर भी यूं तो जी रहे हम
पर यह ज़िन्दगी तो बस तेरे संग आबाद थी |-
मर्द
होता है दर्द हमें भी, हममें भी हर एहसास होता है, सबकी तरह मर्द भी खास नहीं आम ही होता है।
जिम्मेदारियां होती है और होती उससे जुड़ी परेशानियां भी, मुस्कुराते चेहरों के पीछे होती है गम की कहानियां भी।
संभालते है हर किसी को पर हमें भी किसी के साथ
किसी सहारे की तलाश होती है, चमकते दिन की भी तो आखिर एक काली रात होती है।
न आंसू दिखाते न अपने जज्बात बयान कर पाते है, अंदर हो सब कुछ टूटा फिर भी हम बाहर खुद को मजबूत दिखाते है।
कहने की आखिर बस यही बात है चाहे हो मर्द या औरत दोनों की जिंदगी में संघर्ष साथ है।
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तुम्हें अपनी दुआ अपनी हर चाहत बना लू,तेरे इश्क़ में खुद को मिटा दूँ, क्या छुपा पाता है बादल बारिश को खुद में, तो फिर मैं कैसे अपने एहसास अपने दिल में छुपा दूँ।
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गम़ क्या आज खुशी भी बाँटने से हिचकिचाते हैं लोग, न जाने हासिल करने की खुशी से खोने का डर कब इतना बड़ा हो गया।
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