Anurag Kumar   (निःशब्द)
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Joined 11 March 2019


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Joined 11 March 2019
19 DEC 2022 AT 1:17

वक़्त है वक़्त के साथ बदल जायेगा,
ये सैलाब सब कुछ निगल जायेगा,
न तख्त रहेगा, न ताज , न परचम,
बहुत जल्द सब कुछ संभल जायेगा;

ये आग जो तूने लगाई है,
घर तेरा भी इसमें जल जाएगा,
मेरा सब्र लड़ रहा है तेरे गुरुर से,
बहुत जल्द सब कुछ संभल जाएगा।
@nurag

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25 SEP 2022 AT 23:34

तेरे लव से निकली हर बात सुहानी लगती है ,
यूं तो तु छोटी सी है पर सब की नानी लगती है ,
तेरे करतब देख के दिल गम में भी खुश हो जाता है ,
तू सीने से लगती है तो चैन मुझे आ जाता है ,
मेरे कुलदेवों के आशिष का परिणाम है तू ,
मेरे जीवन का आधारस्तम्भ *मेरी बेटी* मेरा अभिमान हैए तू।
@nurag_panडे

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11 JAN 2022 AT 14:29

जिंदगी का मतलब ही बढ़ना है ,
जो न चाहो उसे भी करना है,
कुछ नहीं होता किसी के दूर जाने से,
जंग जिंदगी का हमें ताउम्र लड़ना है।

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19 NOV 2021 AT 20:38


तुझमें अक्स है मेरा, या तेरी छाया हूँ मैं,
है तू सामने या आईना देख रहीं हूँ मैं,
जब होती हूँ रूबरू तेरे यही सोचती हूँ मैं,
तू मेरे जैसी है या तेरे जैसी हूँ मैं।
@nurag_panडे

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13 AUG 2021 AT 22:08

खारे पानी से कभी दिल नही भरता,
असलियत से कोई कभी इश्क़ नही करता,
उनकी नज़रों को मुझमें सिर्फ गलतियां दिखीं,
गुनाहों का जिनके मैं जिक्र नही करता।
@nuragkumarpandey

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27 JUL 2021 AT 7:53

इतना कहा मोर कर दिजे,राम चाकरी पर रख लीजे;
पतित, अबोध, अवगुणी हैं माना, पर हमपे भी कृपा अब किजे;
जिस बुद्धि से तुमको मैं पाऊं, हे प्रभु! वो बुद्धि दिजे;
जितनी दया केवट पर की थी, उतनी ही हमपर भी किजे;
उम्र है छोटी देर न किजे ,अब तो भगवन दर्शन दिजे।
@nuragkumarpanडे

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20 JUL 2021 AT 4:49

न वक़्त पे साथ मिला, न खुल के तरफदारी की;
हमने तो अकेले ही हर जंग की तैयारी की ,
तन्हा रहे , इश्क़ किया , रहे ताक में अपनी बारी की,
कुछ ऐसा मिला सिला जब हमने छुप के तुमसे यारी की।
@nuragkumarpanडे

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1 JUL 2021 AT 7:01

ये बात घर पर सब जानते हैं,
हम सिर्फ तुम्हें अब अपना मानते हैं,
ये कही सुनी बनावटी बात नही है,
झुका के सिर सिर्फ तुझे मांगते हैं।
@nuragkumarpanडे

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21 JUN 2021 AT 7:10

आपका ही है अंश मुझमें ,
रागों में आपकी रवानी है,
है आप पर गुरुर मुझको,
आपसे ही मेरी जिंदगानी है।

@nuragkumarpanडे

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7 JUN 2021 AT 21:18

कॉलेज वाली जिंदगी की खट्टी मिठी यादों में,
किताबों में खोए दोस्त से होने वाली फ़रियादों में,

टफरी, नुक्कड़, गली की न भूलने वाली बातों में;
और तुम्हारा साथ निभाना एग्जाम की रातों में;

याद नही तुम आओगे कैसे भूली बिसरी बातों में;
तुम्हें तो खोजते फिरते थे हम चांदनी रातों में;

लगी हुई है सारी दुनिया बदनाम तुझे करवाने में,
पर कोई हर्ज़ नही है, ए चाय दिल तुझसे लगाने में।
@nuragkumarpanडे

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