सुनो, अब तो दिसंबर जा रहा है
नया साल आ रहा है,
तो हम क्यों पहले जैसे हैं
अगर तुम कहो तो हमसब भी सबकुछ भुला के
नए सफर की शुरुआत करते हैं,
नए जिंदगी की नई कहानियां लिखते हैं,
आओ हम सब साथ मिलकर नए जिंदगी की शुरुआत करते हैं-
आज थोड़ा प्यार जता दूं क्या,
तुम मेरी हो सबको बता दूं क्या...
तेरी कलाई जो पकड़ लूं मैं,
हाय ! मेरी जान गवा दूं क्या...
मेरा कमरा बहुत उदास सा है,
तेरी एक तस्वीर लगा दूं क्या...
तुझे लिखने में दिन चला गया,
सोचने मे रात बिता दूं क्या...
तुझ पे ये जिंदगी तमाम की है,
कहो तो मेरी डायरी दिखा दूं क्या...-
सिख तो लेने दो मनाने का हुनर
इतनी जल्दी खपा हुआ न करो - २
जलती नहीं है सिगरेट, जलता है कलेजा - २
सुर्ख होंठो को ऐसे धुआं ना करो
और रोज नजर उतारती है मेरी मां
तुम मेरी खेरियत की दुआ न करो
और सुनो,
चीटियां लग गई है नमक के डिब्बों पे
मैने तुमसे कहा था न, कुछ भी छुआ मत करो ।।-
तू क्यों डरती है बदनामी से,
मैं तुझे बस दोस्त बताया करता हूँ
हो न जाये मोहब्बत फिर से,
मैं शाम घर में बिताया करता हूँ
और मुझे बड़ा नहीं होना है घर बालो की नज़र में,
मैं तो माँ से भी उम्र छुपाया करता हूँ
और जाती नहीं है इन् होंठो से तेरी होंठो की महक,
मैं पान चबाया करता हूँ
मिटता नहीं है तेरा नाम बदन से,
मैं टैटू को टैटू से मिलाया करता हूँ
सब ख़त्म हो गया, बस पागलपन बचा है,
मैं तुझे रोज याद करता हूँ रोज भुलाया करता हूँ-
ये इश्क और चाय दोनो का अजीब रिश्ता है...
एक को बनाना परता है, दूसरे को मनाना
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बोहोत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ए जिंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं
तबियत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में,
हम ऐसे में तेरी यादों के चादर तान लेते हैं
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एक घर बनाने के खातिर,
मैं अपना घर छोड़ आया हूं -२
और ये कैसी भूख है रोटी की,
जहां मैं सबको भूखा छोड़ आया हूं-
ना जाने क्यों अब जिंदगी जगाने लगी है,
रातों भर
लगता है अब कुछ कुछ जिमेदारियां आने लगी है,
हमारे ऊपर
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