काशी की गंगा, अवध की सरयू, दीपों की वैशाली उगती है,
हर चौक द्वार रंगोली बने, घर घर दीवाली सजती है !
अमा कालिमा व्याप्त अवनि,
दिन जगमग रात निराली है,
असंख्य दीप आतिशी ध्वनि,
फिर आ गई शुभ दिवाली है,
रामायण की सिया, उर्मिला सी
महाभारत की वो पांचाली है,
घर के छज्जों, छत, आलों में
आज हर घर शुभ दिवाली है !
त्रेतायुग के राम लक्ष्मण से, द्वापर में वो पांडव है !
सती के देह त्यागने पर क्या, देखा शिव का तांडव है ?
राम सिया के आने पर, हर घर शुभ दीवाली है !
सिया के अलग होने पर क्या, देखी राम की दीवाली है ?
- अनुराग ‘एजी’-
ना रहे अब वो 'चिट्ठियां' लिखने वाले,
ना रहे आज 'चिट्ठी आई है' गाने वाले,
'चांदी जैसा रंग है तेरा' गानों से वो समां महकता,
'ना कजरे की धार' से वो हर जवां दिल धड़कता,
'छुपाना भी नहीं आता' गाकर वो दर्द भी छलकता,
'थोड़ी थोड़ी पिया करो' के बहाने जाम छलकता,
'रिश्ता तेरा मेरा' से मां और बेटे का प्रेम पनपता,
'मुझको देखा पनघट पे तो पानी भरना' उसका भूल जाना,
'जियें तो जियें कैसे बिन आपके' सुनकर बस रो जाना,
'और आहिस्ता कीजिए बातें' सुनाकर यूं आपका चले जाना,
आपके ये गाने सुनने वाले हो गए आज उदास,
श्रृद्धांजलि सुमन आपको पद्मश्री पंकज उधास !
- अनुराग 'एजी' - 🕉️🌹🪔✍️❤️🇺🇸🇮🇳-
वो काला पानी की दीवारों को भेद,
अंग्रेज़ों को पानी पिलाकर आया था,
आज़ादी दिलाने वो भारत का शेर,
अकेला वीर दामोदर सावरकर आया था,
अब भारत की धरती पर, धर्मविशेष
तुष्टिकरण के जो बीज बोयेगा,
उसका कोई धर्म नहीं, होगा भग्नावशेष
वो वर्षों तक तिल तिल रोयेगा,
याद रखो मुगलों के डीएनए वालों का जीना हराम करना है,
सावरकर के हिंदुत्व के चिंतन को अभी और ज्वलंत करना है,
याद करो स्वभाषा, स्वभूषा और स्वदेशी प्रेम से प्रखर ये बलिदानी,
राष्ट्रवादी मशाल की कविताएँ, गाथाएँ सुनाती वो दीवारें कालापानी !
अभिनव अखंड भारत का सपना ऐसे स्वातंत्र्यवीर से साकार होता है
क्यूँकि जो काम पहले अहिंसा से नहीं वो बाद में हिंसा से ही होता है,
वो काला पानी की दो सजा को भेद,
अंग्रेज़ों को पानी पिलाकर आया था,
आज़ादी दिलाने वो भारत का शेर,
अकेला वीर दामोदर सावरकर आया था!
-💟❤️💞 © अनुराग "एजी" © ✍🏻❤️💕🇮🇳🇺🇸-
वो काला पानी की दीवारों को भेद,
अंग्रेज़ों को पानी पिलाकर आया था,
आज़ादी दिलाने वो भारत का शेर,
अकेला वीर दामोदर सावरकर आया था,
अब भारत की धरती पर, धर्मविशेष
तुष्टिकरण के जो बीज बोयेगा,
उसका कोई धर्म नहीं, होगा भग्नावशेष
वो वर्षों तक तिल तिल रोयेगा,
याद रखो मुगलों के डीएनए वालों का जीना हराम करना है,
सावरकर के हिंदुत्व के चिंतन को अभी और ज्वलंत करना है,
याद करो स्वभाषा, स्वभूषा और स्वदेशी प्रेम से प्रखर ये बलिदानी,
राष्ट्रवादी मशाल की कविताएँ गाथाएँ सुनाती वो दीवारें कालापानी !
अभिनव अखंड भारत का सपना ऐसे स्वातंत्र्यवीर से साकार होता है
क्यूँकि जो काम पहले अहिंसा से नहीं वो बाद में हिंसा से ही होता है,
वो काला पानी की दो सजा को भेद,
अंग्रेज़ों को पानी पिलाकर आया था,
आज़ादी दिलाने वो भारत का शेर,
अकेला वीर दामोदर सावरकर आया था!
-💟❤️💞 © अनुराग "एजी" © ✍🏻❤️💕🇮🇳🇺🇸-
बसंत के वो पीले खिले हुए फूल, आज लाल हो गए,
पुलवामा के भारत मां के लाल, काल के गाल हो गए,
चलो इस बसंत पंचमी पे एक और बालाकोट हो जाए,
पुलवामा जैसी कायरता पे इक आखिरी चोट हो जाए,
अबुधाबी का करूं स्वागत, करो वहां हिंदू मंदिर के दर्शन दैनिक,
कतर ने भी छोड़ अकड़, रिहा कर दिए अब भारत के वीर नौसैनिक,
लेकिन एक पड़ोसी मुल्क बाज़ नही आता शहीद कर मेरे सैनिक,
ऐसा सबक सिखाओ उसे की सदा के लिए हो जाए वहां पैनिक,
चलो इस बसंत पंचमी पे एक और बालाकोट हो जाए,
याद करेगी इन काफिरों की अम्मी ऐसी चोट हो जाए,
पुलवामा जैसी कायरता पे इक आखिरी चोट हो जाए,
कुछ वहां के नाजायज और डीएनए मेरे भारत में अब भी बसते हैं,
सेक्युलर की आड़ में ये भेड़िए मोहब्बत की दुकान खोलते हैं,
वर्षों बाद बागपत में महाभारत के लाक्षाग्रह को संरक्षण मिला है,
और काशी के ज्ञानवापी में मेरे शिव का खोया हुआ वैभव मिला है,
मां सरस्वती से ज्ञान का प्रवाह और शिव की भव्यता ज्ञानवापी हो जाए,
चलो इस बसंत पंचमी पे एक और बालाकोट हो जाए,
पुलवामा जैसी कायरता पे इक आखिरी चोट हो जाए,
खुद को सेक्युलर समझने वालों से अंतिम निवेदन हो जाए,
पुराने लवपुर और आज के लाहौर में बस एक राम मंदिर हो जाए !
--❤️🕉️🇮🇳🌹🪔🌄अनुराग "एजी"❤️✍️🇺🇸-
बसंत के वो पीले खिले हुए फूल, आज लाल हो गए,
पुलवामा के भारत मां के लाल, काल के गाल हो गए,
चलो इस बसंत पंचमी पे एक और बालाकोट हो जाए,
पुलवामा जैसी कायरता पे इक आखिरी चोट हो जाए,
अबुधाबी का करूं स्वागत, करो वहां हिंदू मंदिर के दर्शन दैनिक,
कतर ने भी छोड़ अकड़, रिहा कर दिए अब भारत के वीर नौसैनिक,
लेकिन एक पड़ोसी मुल्क बाज़ नही आता शहीद कर मेरे सैनिक,
ऐसा सबक सिखाओ उसे की सदा के लिए हो जाए वहां पैनिक,
चलो इस बसंत पंचमी पे एक और बालाकोट हो जाए,
याद करेगी इन काफिरों की अम्मी ऐसी चोट हो जाए,
पुलवामा जैसी कायरता पे इक आखिरी चोट हो जाए,
कुछ वहां के नाजायज और डीएनए मेरे भारत में अब भी बसते हैं,
सेक्युलर की आड़ में ये भेड़िए मोहब्बत की दुकान खोलते हैं,
वर्षों बाद बागपत में महाभारत के लाक्षाग्रह को संरक्षण मिला है,
और काशी के ज्ञानवापी में मेरे शिव का खोया हुआ वैभव मिला है,
मां सरस्वती से ज्ञान का प्रवाह और शिव की भव्यता ज्ञानवापी हो जाए,
चलो इस बसंत पंचमी पे एक और बालाकोट हो जाए,
पुलवामा जैसी कायरता पे इक आखिरी चोट हो जाए,
खुद को सेक्युलर समझने वालों से अंतिम निवेदन हो जाए,
पुराने लवपुर और आज के लाहौर में बस एक राम मंदिर हो जाए !
--❤️🕉️🇮🇳🌹🪔🌄अनुराग "एजी"❤️✍️🇺🇸-
हिमाच्छादित हर कण और पर्ण लगता अब बसंत,
राममय हुआ हर मन, कर्ण और वर्ण अब गणतंत्र,
कभी अक्साई चिन और और कभी सियाचिन की बर्फ में होता दफन,
यूं ही नहीं रहता में ऐसे ही स्वतंत्र, ऐसे गणतंत्र को मेरा बार बार नमन,
- अनुराग “एजी”-
I'm not lonely,
But if I sit anywhere remotely,
Millions search on Google globally,
I'm Indian heartedly,
But if I stand anywhere lonely,
That place comes in demand socially!
I consider the world homely,
But if someone messes up sarcastically,
It costs them billions drastically !
🇺🇸🇮🇳 🔱🕉️-Anurag "AG"-🕉️🔱❤️🇮🇳🇺🇸-
मेरे राम ना अब निर्वासित ना वनवासी, भारत की झांकी है,
पलक पांवड़े बिछाए अयोध्या मथुरा भी, और काशी है,
कुछ अधर्मियोंं के लिए, अभी भी सिर्फ एक उदासी है,
निमंत्रण मिलने पर भी असमंजस, और आती खांसी है,
सरयू और गंगाजल छिड़को इनपर, हिंद की धरा प्यासी है,
मनाओ भारत में पौष पर दीपावली, राम की निकासी है,
ये सब देखने अब लौटेंगे, प्रतीक्षा में, लाखों प्रवासी हैं,
विरह का दंश झेलते और पंछी बन उड़ते हम प्रवासी हैं,
भारत से दूर रहकर भी हम प्रवासी सच्चे भारतवासी हैं !
❤️🕉️🪔- अनुराग "एजी"-🪔💖🌄💟🔱💕
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कल अमा रात्रि ओस बन स्मृति में,
आर्द्र हुए नयन, कपोल,
सिया सी मृगतृष्णा की विस्मृति में,
शुष्क तेरा मेरा कलोल,
जब द्रवित हुआ स्मरण घोल,
अब क्यूं स्मृत हुआ मेरा मोल,
मैं अनुराग था, उसका अध्याय,
मेरे पृष्ठों की वो पुस्तिका,
रिक्तियों में भरके समर्पण पर्याय,
लिखा मैंने इति पुष्पिका,
फिर नेह आंचल में लेके क्यूं छला,
मुझको बन मरीचिका!
-💟❤️💞 अनुराग "एजी"❤️💕--