अनुराग्य, दिव्य,भव्य,नव्य सृजन, आशीष दें रघुनंदन,
सौभाग्य, आरोग्य, नित्य अर्जन, नूतन वर्षाभिनंदन,
मैं सनातन, मैं पुरातन, आर्यावर्त, स्मृत, अधर्मियों का प्रारब्ध हूं,
मैं अर्वाचीन, मैं नवीन, विस्मृत, विस्तृत, नव वर्ष का शुभारंभ हूं,
मैं ही रामायण, मैं ही अवध, भुलाया गया इतिहास हूं,
मैं ही नारायण, रावण का वध, नूतन वर्ष हर्ष उल्लास हूं,
मैं वाल्मिकी हूं, समय हूं, वर्तमान, भविष्य, भूतकाल हूं,
मैं तुलसी हूं, प्रलय हूं, दीपावली, अश्वमेध यज्ञ, महाकाल हूं,
मुझे बताया गया काल्पनिक, किया अपने ही घर में प्रवासित,
त्रेतायुग में 14 वर्ष वनवास, कलयुग में 500 वर्षों से निर्वासित,
राम भारत की प्राणवायु, राम से शुद्ध होंगे ये आज के रावण और दूषित जलवायु,
लाखों पंछी जरुरी नही सिया की खोज के लिए, जरुरी है बस इक गिद्ध जटायु,
भील, शबरी विभीषण सा प्रेम, सिया सतीत्व, लक्ष्मण की यलगार, भरत-शत्रुध्न सा भातृत्व,
केवट, नल-नील, सुग्रीव का साथ, हनुमान का भक्तित्व, उर्मिला का त्याग, दशरथ सा पितृत्व,
वर्षों से कुछ विधर्मियों ने रखा न्याय से वंचित, अब करो सबको प्रभु राम की मर्यादा से सिंचित,
इस कालचक्र का अयोध्या में जाना जरूरी था, क्यूंकि मेरे राम का आना हिंदुस्तान के लिए जरूरी था,
अनुराग्य, दिव्य भव्य नव्य सृजन, आशीष दें रघुनंदन, सौभाग्य, आरोग्य, नित्य अर्जन, नूतन वर्षाभिनंदन!
🌹✍️💟अनुराग "एजी"🪔🕉️🔱❤️
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