Anurag Dwivedi   (Anurag dwivedi)
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Joined 28 July 2018


Joined 28 July 2018
7 MAY 2023 AT 11:16

कभी उगता सूरज कभी गिरता झरना देखेंगे
तेरा गुस्सा सहेंगे हम , तेरा संवरना देखेंगे
जीवनभर का साथ है पगली पल दो पल की बात नहीं
तेरे साथ जियेंगे हम , तुझ संग मरना देखेंगे ।।



अनुराग द्विवेदी

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6 MAY 2023 AT 23:45

जनाज़ा उठ गया उठना था जिसका
गली सूनी है , तुमको सुख तो है ।
ज़ख्म ये वो नही जो भर सकेगा
चोट दूनी है , तुमको सुख तो है ।
किसी माँ - बाप का तारा गया है
तुम्हे क्या गम तुम्हारे यार कितने ।
कोई इल्ज़ाम देगा न तुम्हे अब
इश्क खूनी है , तुमको सुख तो है ।।



अनुराग द्विवेदी

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12 MAY 2020 AT 13:50

कहाँ है कलम तेरी , हैं कहाँ अल्फाज़ तेरे
बहुत दिन हो गए हैं , कुछ नया लिखता नहीं क्यूँं ?
बता दे कौन सा चेहरा लगा के घूमता है
बहुत खोजा है तुझको, अब कहीं दिखता नहीं क्यूँ ?
बडे चर्चे हँसी के थे तेरी .. पूरे शहर में
तू क्यूँ मुरझा गया है .. क्या हुआ ? हँसता नहीं क्यूँ ?
न जाने कौन सी है दौड जिसमे दौडता है
है मंजिल क्या तेरी ? तू भला रुकता नही क्यूँ ?
लिखना तो तेरा प्यार था न , अब क्या है मजबूरी
चुपचाप क्यूँ बैठा है , कुछ कहता नही क्यूँ ?
जो लोग , अब तक याद करते थे कि तू लिखता था पहले
ये प्यार है उनका , तू अब तक ये कभी समझा नहीं क्यूँ ?

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20 MAR 2020 AT 3:22

अल्फाज़ कलम को गिरवी रखकर
आधी कविता लिखकर खुश हूँ ।
वैसे तो अनमोल था लेकिन
तेरी खातिर बिककर खुश हूँ ।
बड़ा जतन लगता है ' राहत '
एक ' खुशी ' को पाने में
जो मिली नहीं तो दुख भी क्या है
मैं तो बस खुश दिखकर खुश हूँ ।।

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20 FEB 2020 AT 22:44

एक झूठी सी तसल्ली तुझको दे रहा हूँ मैं
मुझको भी पता है की आगे क्या होगा
हम कुछ दिन तक बहुत बेहाल रहेंगे
फिर मैं अपने हाल तू अपने हाल जी रहा होगा ।।

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10 NOV 2019 AT 11:03

दिन भर तो कट जाता है लोगों के बीच में
बस ऐसा हो जाए की शाम और रात न हो
कहता रहता हूँ की कब का भुला दिया तुझको
ऐसा नहीं किसी से बात में तेरी बात न हो
अब हम रोज रोते हैं की वो किसी और का है
बस ऐसा हो अब दिल तो हो जज़्बात न हो
एक बार टूटा तो फिर नहीं जुडता ' राहत '
रिश्ते में सिर्फ विश्वास हो विश्वासघात न हो ।।

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4 NOV 2019 AT 10:30

उसने जितना प्यार दिया , उसका ख्याल भी नहीं जाता
उसके साथ गलत करने का दिल से मलाल भी नहीं जाता
वो लिखता तो है गुस्से में मेरे बारे में जाने क्या क्या
पर महफिल में कहकर इज्जत उछाल भी नहीं जाता ।।

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30 OCT 2019 AT 18:10

वो जो मेरा है मेरे पास है
वो जो तुझको है हाँसिल भी न ले जाऊँ मैं
मैं नदी हूँ मेरी लहरों में है बहाव बहुत
आहिस्ता आहिस्ता तेरा साहिल भी न ले जाऊँ मैं
मुझे डर है यूँ ही तेरे करीब आती रही तो
तू यूँ ही खुद से दूर जाता रहेगा
मुझे यूँ सीने से लगाकर न सोया कर
सम्भालना कहीं तेरा दिल भी न ले जाऊँ मैं ।।

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26 OCT 2019 AT 22:17

मेरा उससे रिश्ता मतलब का नहीं है, ज़रा सा जज़्बाती है
उसमे सिमटते ऐसे कोई नदी सी जैसे सागर में मिल जाती है
चाहते तो हम भी हैं आएँ कभी न उसकी मीठी बातों में
उसका काम ही है वो शायर है, उसे बातें बहुत बनानी आती हैं ।।

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25 SEP 2019 AT 16:42

मैं जो घबराऊँ , तो संभाल लेना
मैं जो गिर जाऊँ , तो संभाल लेना
मै तो हूँ पागल , तू तो सयानी है ना
तुमसे लड़ जाऊँ , तो संभाल लेना ।।

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