Anurag Bile  
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"मुझको मेरे वजूद की हद तक ना जानिए , बेहद हूं, बेहिसाब हुँ ,बेइंतहा हूँ मैं"
Joined 2 August 2017


"मुझको मेरे वजूद की हद तक ना जानिए , बेहद हूं, बेहिसाब हुँ ,बेइंतहा हूँ मैं"
Joined 2 August 2017
28 SEP 2021 AT 21:44

ज़िंदगी को राहों में मिलेंगे तुम्हें हज़ारो हमसफ़र,
लेकिन उम्रभर भूल न पाओगे वो मुलाक़ात हूं मैं !!

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30 AUG 2019 AT 0:17

अपनो के साज़िशों से परेशान ज़िंदगी
ग़ौरों से पुछती है तरीक़ा निजात का

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15 AUG 2019 AT 6:28

73 वे स्वतंत्रता दिवस की आप सभी देश वासियो को ढेर सारी शुभकामनाएं।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत, अखण्ड भारत, समृद्ध भारत"।
🇮🇳🇮🇳🙏🇮🇳🇮🇳🙏🇮🇳🇮🇳🙏🇮🇳🇮🇳🙏🇮🇳🇮🇳
#अखण्ड_भारत

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12 MAY 2019 AT 17:10

सदा दुआएं होंठ पर, हाथों में आशीष ।
जन्नत मॉ के पांव में, रोम-रोम में ईश ।।
🌹मातृ दिवस सुखमय हो । 🌹

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8 MAR 2019 AT 21:35

प्रेम कभी खत्म नही होता बस प्रेम के भरोसे गढ़ी हुई एक सपनों की दुनिया की जब काल्पनिकता खत्म हो जाती है और ज़िन्दगी हाथ पकड़ के घसीटती हुई यथार्थ पे लाके पटक देती है तब मन को मारके दायित्वों को पूरा करना ही धर्म हो जाता है !!

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27 JAN 2019 AT 13:25

सो गई लिपट कर तिरंगे के साथ अलमारी में

देश-भक्ति है साहब तारीखों पर जागती है 😞😞

🇮🇳भारत माता की जय🇮🇳

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9 JAN 2019 AT 9:26

उफ़ ये गजब की रात और ये ठंडी हवा का आलम,

हम भी खूब सोते अगर उनकी बांहो में होते !!

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28 DEC 2018 AT 8:33

जनवरी में बोये कच्चे इरादे
और झुठे वायदे
की फसल काटता है
फिर दिसंबर

शर्मिंदगी के कुहासे में छिप
कांपता लरजता
गुनाहगार सा दिखता
फिर दिसंबर

बरस भर की निराशा
का बोझ कांधे पे ढोये
कलेंडर की दहलीज पे सरकता
फिर दिसंबर

बरस भर की कामयाबी को
महीनों में बांट
फ़कीर सा खाली हाथ रह जाता
फिर दिसंबर

हमारी बेसब्री और बैचेनी भांप
अनचाहा मेहमान सा
वक़्त की सीढ़ी उतर जाता
फिर दिसंबर

तारिखो के ढेर को
यादों की तीली से सुलगा
अलाव में राख होता
फिर दिसंबर

नये साल के नये इरादे नये वादे
के बेमानी शोर मेंं
इक पल में ख़ामोश हो जाता
फिर दिसंबर

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22 DEC 2018 AT 21:08

वो याद आया कुछ यूँ, कि लौट आए सब सिलसिले....

ठन्डी हवा, पीले पत्ते और दिसंबर के ये दिन।

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9 DEC 2018 AT 22:19

किसी बेबस, लाचार, गरीब बूढ़े को अपनी चादर
उढ़ा के तो देख,

भरी सर्दी की ठंडी हवाएं भी तुम्हें गर्माहट देगी।

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