संबंधों का निर्वहन गुरूदेवऔर परमात्मा की कृपा से ही संभव है, मनुष्य तो केवल गुणों के निर्वहन तक सीमित है। -
संबंधों का निर्वहन गुरूदेवऔर परमात्मा की कृपा से ही संभव है, मनुष्य तो केवल गुणों के निर्वहन तक सीमित है।
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बेसुरा ही सही, गीत गाया करें -
बेसुरा ही सही, गीत गाया करें
सच्चा संबंध और प्रेम, मुक्ति की ओर ले जाता है। जो अपेक्षाओं में जकड़ ले और जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा के रख दे, वह भला कैसा संबंध और प्रेम हुआ?? -
सच्चा संबंध और प्रेम, मुक्ति की ओर ले जाता है। जो अपेक्षाओं में जकड़ ले और जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा के रख दे, वह भला कैसा संबंध और प्रेम हुआ??
जो कुछ भी हम कर रहे हैं, उससे केवल नष्ट होने वाला "भोग" ही बन रहा है, अच्छा या बुरा।"योग" तो कुछ ऐसा है जो केवल उसी क्षण बनता है जब हम कुछ भी न करें। और ऐसी अवस्था गुरू कृपा से ही संभव है। -
जो कुछ भी हम कर रहे हैं, उससे केवल नष्ट होने वाला "भोग" ही बन रहा है, अच्छा या बुरा।"योग" तो कुछ ऐसा है जो केवल उसी क्षण बनता है जब हम कुछ भी न करें। और ऐसी अवस्था गुरू कृपा से ही संभव है।
दुनिया बनाने वाले, खुदको लुटा बैठे हैं,खुद को बनाने वाले, दुनिया बना बैठे हैं। -
दुनिया बनाने वाले, खुदको लुटा बैठे हैं,खुद को बनाने वाले, दुनिया बना बैठे हैं।
मजे की बात तो ये है कि,जब करने का भाव ही न रहे,तो सब काम सहज ही बनते जाते हैं। -
मजे की बात तो ये है कि,जब करने का भाव ही न रहे,तो सब काम सहज ही बनते जाते हैं।
एक परमात्मा जो सबमें विद्यमान हैं,यदि उन्हें लेशमात्र भी अनुभव कर लिया,तो वे ही,सही रास्ते पर चलाते भी हैं,और गलती करने से बचाते भी हैं। -
एक परमात्मा जो सबमें विद्यमान हैं,यदि उन्हें लेशमात्र भी अनुभव कर लिया,तो वे ही,सही रास्ते पर चलाते भी हैं,और गलती करने से बचाते भी हैं।
कच्चा मकान भी सुख से परिपूर्ण है,यदि मन पूरी तरह से पक्का हो। -
कच्चा मकान भी सुख से परिपूर्ण है,यदि मन पूरी तरह से पक्का हो।
जब तक स्वयं के प्रयासों में आनंद नहीं आता,परिणाम चिन्ता बन कर घेरे रहेंगे। -
जब तक स्वयं के प्रयासों में आनंद नहीं आता,परिणाम चिन्ता बन कर घेरे रहेंगे।
सच्ची श्रद्धा वही है,जो अपने इष्ट को देखने के लिएआंखों पर भी निर्भर न हो। -
सच्ची श्रद्धा वही है,जो अपने इष्ट को देखने के लिएआंखों पर भी निर्भर न हो।