दो लुटे हुए लोग कोशिश कर रहे हैं एक घर बसाने की
दो टूटे हुए लोग कोशिश कर रहे हैं एक आशियां बनाने की
दो बिखरे हुए लोग चाहते हैं समेट लेना आंखों में समंदर को
जो दर्द देता है, वो चाहते हैं भूल जाना उस मंजर को
आंखों में काली परछाइयां बसती हैं जिनके
वो नजारों में रंग भरना चाहते हैं
जीत हार का पता नहीं बस जंग लड़ना चाहते हैं
चाहते हैं मुस्कुराना खिलखिलाना गुनगुनाना
रूठ जाना, फिर मनाना, दूर जाना, पास आना
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