Anupriya Pandey   (Evee_ink)
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✿ Capricorn & Capricious ✿
Joined 12 July 2018


✿ Capricorn & Capricious ✿
Joined 12 July 2018
24 JAN 2022 AT 16:12

गुलमोहर के खिलने का
इंतजार करते हुए
नीरस हो गया है मन,
और वो शिउली के फूल
तो मानो अपना रंग ही छोड़ चुके है।
जो कभी तुम्हारे होने मात्र से
खिलखिला उठते थे ।
(पूरी कविता कैप्शन में)

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19 JAN 2022 AT 19:23


मेरी साड़ी का एक कोर
तुम्हारे कुर्ते से लिपट कर
झूम उठेगा उस दिन।
तब तुम्हें रोकूंगी नहीं मैं
जाने दूंगी,

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31 DEC 2021 AT 16:47

Eventually found a sun
Who is shining,
And my skin glittering
Like a new born baby does.
I found myself
One step towards the sunshine
Or one step away from it.

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9 JUL 2021 AT 21:42

मेरे ख़्याल को
अब मेरा ख़्याल ना रहा
दर्द बेहिसाब है
तो अब कोई सवाल ना रहा।
चलती है सांसे
बस यहां से वहां
पर धड़कनों को मेरे
अब मलाल ना रहा।
गए थे कुछ रोशनी चुराने
पर चांद का हमसे
अब कोई ताल्लुकात ना रहा।

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27 JUN 2021 AT 22:00

हाथ में चाय की कप
और तुम्हारी राह देखते देखते
उम्र और वक्त दोनों ढल रहे हैं।
हर सुबह साथ जगती है एक नई उम्मीद
कि शायद आज तो तुम लौट आओ?
और शाम ढलते ढलते
अंधेरे के साथ एक गहरा सन्नाटा
कि आज फिर तुम लौट के ना आ सके।

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6 JUN 2021 AT 22:35

यूं ही डगमगाता ये
एक ख्वाब-सा है।
अंदर यादों का बक्सा
उस पुरानी किताब-सा है।
सोचा, जो मेरा था कभी
अब वो नायाब-सा है।
नफ़्जे तो यूं ही दौड़ रही
धड़कनें तो अब भी नासाज-सी है।
छोड़कर जाने वाले तो चले गए
पर यादें उनकी आफ़ताब-सी है।

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16 MAY 2021 AT 17:37

बड़ा अटपटा सा लगता है,
जब हर बार प्रेम,
मेरे आंगन में झांकता है।
एक कचोटन होने लगती है मन में,
अनावृत ये आंखें खुली रह जाती हैं।
मेरे हृदय में प्रेम,
सिर्फ व्यंग मात्र बनकर रह गया है।

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10 MAY 2021 AT 21:12

हर तरफ एक शोर है
पहले सा कहां अब भोर है ।
जिंदा तो है हम
फिर यह सांसो की कैसी होर है ।
हर जुबां पर नाम सिर्फ उसका है
समझ नहीं हम किस ओर हैं।
भूल गए सब हंसना हंसाना
न जाने ये जिंदगी की कौन सी मोड़ है।
तिमिर ही है बस चारों तरफ
समय के सामने,
आज हर कोई कमजोर है ।

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27 APR 2021 AT 12:10

Miracles can be explained
Either, but they exist
For those who believe in them.
_Paulo coelho

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9 APR 2021 AT 18:27

सहेज कर रखूंगी
तुम्हारे सारे खत
जो कभी तुमने
मेरे लिए लिखे थे।

बेशक तुम नहीं
पर उन खतों में
तुम्हारे होने का भ्रम
लगा रहता है।

जब कभी मेरी सांसें
स्थिर होने लगती हैं
तुम उन खतों में
करवटें लेने लगते हो।

तब जान लेती हूँ कि
कुछ क्षण और जीने हैं
यहाँ उन खातों के साथ
मगर तुम्हारे बगैर।

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