गुलमोहर के खिलने का
इंतजार करते हुए
नीरस हो गया है मन,
और वो शिउली के फूल
तो मानो अपना रंग ही छोड़ चुके है।
जो कभी तुम्हारे होने मात्र से
खिलखिला उठते थे ।
(पूरी कविता कैप्शन में)-
मेरी साड़ी का एक कोर
तुम्हारे कुर्ते से लिपट कर
झूम उठेगा उस दिन।
तब तुम्हें रोकूंगी नहीं मैं
जाने दूंगी,
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Eventually found a sun
Who is shining,
And my skin glittering
Like a new born baby does.
I found myself
One step towards the sunshine
Or one step away from it.
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मेरे ख़्याल को
अब मेरा ख़्याल ना रहा
दर्द बेहिसाब है
तो अब कोई सवाल ना रहा।
चलती है सांसे
बस यहां से वहां
पर धड़कनों को मेरे
अब मलाल ना रहा।
गए थे कुछ रोशनी चुराने
पर चांद का हमसे
अब कोई ताल्लुकात ना रहा।-
हाथ में चाय की कप
और तुम्हारी राह देखते देखते
उम्र और वक्त दोनों ढल रहे हैं।
हर सुबह साथ जगती है एक नई उम्मीद
कि शायद आज तो तुम लौट आओ?
और शाम ढलते ढलते
अंधेरे के साथ एक गहरा सन्नाटा
कि आज फिर तुम लौट के ना आ सके।-
यूं ही डगमगाता ये
एक ख्वाब-सा है।
अंदर यादों का बक्सा
उस पुरानी किताब-सा है।
सोचा, जो मेरा था कभी
अब वो नायाब-सा है।
नफ़्जे तो यूं ही दौड़ रही
धड़कनें तो अब भी नासाज-सी है।
छोड़कर जाने वाले तो चले गए
पर यादें उनकी आफ़ताब-सी है।-
बड़ा अटपटा सा लगता है,
जब हर बार प्रेम,
मेरे आंगन में झांकता है।
एक कचोटन होने लगती है मन में,
अनावृत ये आंखें खुली रह जाती हैं।
मेरे हृदय में प्रेम,
सिर्फ व्यंग मात्र बनकर रह गया है।
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हर तरफ एक शोर है
पहले सा कहां अब भोर है ।
जिंदा तो है हम
फिर यह सांसो की कैसी होर है ।
हर जुबां पर नाम सिर्फ उसका है
समझ नहीं हम किस ओर हैं।
भूल गए सब हंसना हंसाना
न जाने ये जिंदगी की कौन सी मोड़ है।
तिमिर ही है बस चारों तरफ
समय के सामने,
आज हर कोई कमजोर है ।
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Miracles can be explained
Either, but they exist
For those who believe in them.
_Paulo coelho
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सहेज कर रखूंगी
तुम्हारे सारे खत
जो कभी तुमने
मेरे लिए लिखे थे।
बेशक तुम नहीं
पर उन खतों में
तुम्हारे होने का भ्रम
लगा रहता है।
जब कभी मेरी सांसें
स्थिर होने लगती हैं
तुम उन खतों में
करवटें लेने लगते हो।
तब जान लेती हूँ कि
कुछ क्षण और जीने हैं
यहाँ उन खातों के साथ
मगर तुम्हारे बगैर।-