Anupriya Batra  
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दिल की कलम को
ख्यालों की स्याही में डुबोकर
मन की डायरी में
लिखती हूँ ज़ज्बात❣️
Joined 4 February 2019


दिल की कलम को
ख्यालों की स्याही में डुबोकर
मन की डायरी में
लिखती हूँ ज़ज्बात❣️
Joined 4 February 2019
1 JUL AT 15:53

हज़ारों मुश्किलें आती ही हैं, ज़िन्दगी की टेढ़ी मेढ़ी राहों में
फिर भी मुस्कुराना ही पड़ता है ,सिसकती हुई सी आहों में

कुछ पल की खुशी मिले, तो गम का नज़राना साथ मिले
सुख दुःख हमेशा साथ रहते,दुख रहता सुख की पनाहों में

कर बुलंद अपनी खुदी को इतना,कि खुदा भी मेहरबान हो
आकर खुद खुशामदीद करे ,वो लेकर तुझे अपनी बांहों में

मैदान-ए-जंग है ज़िन्दगी,बनकर रणबांकुरा दिखा सबको
छलनी कर दे सीना गमों का,दम तोड़ दे हर गम कराहों में

हार जीत सब है तेरे हाथों में, अपनी जीत खुद कर मुकरर्र
अपने हौसले तू जगा,फतह खुद चलके आएगी तेरी राहों में

-Anupriya Batra







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30 JUN AT 17:34

Rain is a song
With a jingling sound
And a musical beat

Rain is a song
With a cool cool effect
To beat the heat

Rain is a song
With blooming flowers
And love birds to meet

Rain is a song
With a shower of love
And enthralling heart beat

Rain is a song
Of just you and me
And our mutual love treat❣️

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28 JUN AT 21:48






ये शाम आज लाई है ,तुम्हारी मोहब्बत का मीठा सा पैगाम
एक अधूरी सी कहानी को, मिल गया हो जैसे नया आयाम

कोई खुशबू सी उड़ी है, इस सौंधी सौंधी गीली मिट्टी से अभी
ये बारिश की बूंदें भी,मानो भेज रही हो बस तुम्हारा ही पयाम

गरजते बरसते से बादलों में से, झांकती है बिजली कभी कभी
जैसे घूंघट की ओट से, एक नवेली भेज रही हो अपना सलाम

सुरमई आंखों सी स्याह है, कुछ मदमाती कुछ इतराती हुई सी
प्रीत के रंगों से सराबोर, इंद्र धनुष सी सतरंगी है अलबेली शाम

एक मंद मंद सी मुस्कान से,जब छा जाता है इस चेहरे पर सुरूर
तो ज़माना ये समझता है कि, हमने पी रखा है तेरे इश्क का जाम

-Anupriya Batra








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27 JUN AT 17:00



इम्तिहान -ए -ज़िन्दगी

जिन्दगी के इम्तिहान की,होती ही नहीं कोई भी किताब
फिर भी तजुर्बों से सीख कर, देने पड़ते हैं इसके जवाब

ताउम्र सीखा किए,ज़िन्दगी जीने का मुक्कमल सलीका
जब तक कुछ समझ में आया,ये उम्र ही बीत गयी जनाब

उफ़! तौबा ही हैं इसके नखरे,कातिलाना है हर एक अदा
एक ऐसी नायाब अदाकारा है,जिसके जलवे हैं लाजवाब

बहुत ही बेदर्द है बेरहम है, वक्त को बना लेती है हथियार
करती है अपना वार खामोशी से, जख्म देती है बेहिसाब

ज़िन्दगी जीना है तो बस, खुद को कर लो तुम अब तैयार
सीखो सब सलीके इसके, हर सवाल का दो वाजिब जवाब


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22 JUN AT 14:51

आज दोपहर कुछ उमसाई सी, कुछ अलसाई सी है
चारो ओर एक सुन्न सा सन्नाटा है ,एक तन्हाई सी है

ऐसे में आती है याद तुम्हारी, कुछ पुराने किस्से लिए
उन बीते हुए नाज़ुक लम्हों की,एक बारात आई सी है

जब साथ थे तुम तो,हर लम्हा बीत जाता था खुशी से
अब तो आलम है कि, वक़्त की भी शामत आई सी है

खिली हुई तबस्सुम खेलती थी, इन शबनमी होठों पर
अब तो खो गयी रौनक, आंख में आ बसी रुलाई सी है

आ जाओ कि इंतज़ार में कहीं ,खो न जाए नादान दिल
ये जिस्मअब काबू में नहीं, ये रूह भी लगती पराई सी है

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28 MAY AT 12:28

तरन्नुम- ए- जिंदगी

ज़िन्दगी से कर मोहब्बत, गम में जीना छोड़ दे
यूँ बेवजह बेमतलब अपने, आंसू पीना छोड़ दे

देती है तो देती जाए, ज़ख्म ज़िन्दगी बेहिसाब
वक्त खुद भर देगा इन्हें, तू ज़ख्म सीना छोड़ दे

माज़ी की यादें भुलाकर,आज में तू सीख जीना
अनमनी सी यादों से, घुट घुट कर जीना छोड़ दे

बेसाख्ता सी है ज़िन्दगी, खुद को तू तैयार रख
दिल में तू हिम्मत जगा,डर डर के जीना छोड़ दे

है एक तरन्नुम ये ज़िंदगी,सुरो साज़ से इसे सजा
इसे बना मीठी गज़ल,दर्द के सुर में जीना छोड़ दे




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21 MAY AT 19:00


बारिश की बूदें

बारिश की बूंदें भी तो ,कभी कभी कमाल करती हैं
बेमौसम ही बरस जाती हैं,और खूब धमाल करती हैं

अभी सावन आया नहीं, पर सावन जैसे रंग दिखाती
काली बदलीयाँ ये घुमड़ घुमड़, खूब बवाल करती हैं

कभी अचानक बिजली कौंधे, तड़क से करती है शोर
तन में उठे झुरझुरी सी, कलेजे में ये ज़वाल करती हैं

याद आता है बचपन बहुत,जब बारिश में भीग जाते थे
वो बचपन की यादें,आज भी रंगीन हर ख्याल करती हैं

काश कि इक बार फिर से,लौट आते वो दिन भी सुनहरे
क्यूँ पलट नहीं आता वक्त,आज हमसे ये सवाल करतीं हैं

-Anupriya Batra





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3 MAY AT 16:24

सफ़र- ए -इश्क़ 💘

कुछ दर्द दिल के कोने में छुपे ही रह जाते
वो दर्द कभी किसी को दिखाए नही जाते
कुछ आंसू बस पलकों पर ही हैं ठहर जाते
वो चाहकर भी आंखों से बहाए नहीं जाते

इम्तिहानों का एक सिलसिला है ज़िन्दगी
यकीनन ये बात जानते ही हैं हम सब ही
अफ़सोस इसके इम्तिहान ऐसे भी हैं होते
जिनके नतीजे ही कभी बतलाए नहीं जाते

राह-ए-इश्क़ से जो भी कोई गुज़रा है कभी
एक बार तो रस्ता भटका है सब जानकर भी
जिस सफर में खोना तय है उसपे चले जाते
कदम आगे बढ़ने से क्यूँ रूकवाए नहीं जाते


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10 APR AT 15:28

सुकून दिल को कभी आया ही नहीं,जब से ये दिल बेकरार हुआ
चैन भी तो कहीं हुआ है लापता, जब से हमें किसी से प्यार हुआ

ये रूह अब हमारी न रही, बस जिस्म का ही अहसास रहा बाकी
वो जाकर बस गयी उनके दिल में,खुद से जिस्म भी बेज़ार हुआ

ना तो आबाद रहा न बर्बाद हुआ, ये शहर- ए- दिल भी अजीब है
कितने तूफान से होकर गुज़रा,फिर भी पूरी तरह नहीं बेकार हुआ

सुनते हैं जब होती है दस्तक, तो गूंज उठता है दिल का हर कोना
दिल के ज़ज़्बातों को मिलेगा सुकूँ,इक बार जो उनका दीदार हुआ





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8 APR AT 22:43

बहुत नाज़ुक जज़्बातों में बहक रहा है ,तुम आकर ज़रा मेरा दिल थाम लो
धड़कनों में कैद धक-धक कर रहा है, तुम आकर ज़रा मेरा दिल थाम लो

है इक शामत मोहब्बत बेशक ये माना, पर ज़िन्दगी भी बेनूर है इसके बगैर
ये मोहब्बत पाने को ही तो तड़प रहा है, तुम आकर ज़रा मेरा दिल थाम लो

ये ज़ालिम ज़माना दुश्मन-ए-इश्क़ है, सदियों से बदस्तूर कायम है दुश्मनी
इसकी आग में अब तलक जल रहा है, तुम आकर ज़रा मेरा दिल थाम लो

न कोई राहत है न कोई हौसला है, हालातों के शिकंजे में कुछ ऐसे कसा है
एक पल की खुशी के लिए तरस रहा है, तुम आकर ज़रा मेरा दिल थाम लो

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