जो लम्हा है बस वो यही है, इसे सलीके से जीना सीख लो
मबादा उम्र बीत जाने पर, रह जाए इक खलिश सी दिल में
ताउम्र जोड़ा ही किए दौलत ,खर्च करके उम्र के हसीन लम्हे
मबादा अधूरी ख्वाहिशो की, रह जाए इक रंजिश सी दिल में
न तो खुद की ही परवाह की,न दुनिया को ही खुश कर सके
मबादा हसीन ज़िन्दगी की, रह जाए इक गुज़ारिश सी दिल में
इक दर्द को छिपा जीते रहे,वो दर्द किसी को किया न बयान
मबादा उस नामुराद दर्द की, रह जाए इक जुंबिश सी दिल में
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ख्यालों की स्याही में डुबोकर
मन की डायरी में
लिखती हूँ ज़ज्बात❣️
इश्क़ में जो की थी नादानियाँ,वो अब बन गयी हैं सिर्फ कहानियाँ
माज़ी की किताब के पन्नों में कैद, आज भी ताज़ा हैं वो कहानियाँ
बीते हुए लम्हों की कसक सी, आज भी उठ जाती है सीने में कहीं
याद आ जाती हैं आज तलक भी, लफ्ज़ दर लफ्ज़ वो कहानियाँ
कभी मिले थे तुम हमसे हमसाया बनके, कुछ कदम चले थे साथ
मंज़िल तक पहुँचें नहीं कदम, रास्ते में आ गयी बेसबब परेशानियाँ
मेरे हमराज़ तुमने खायी तो थी कसम,कि इश्क़ ये रहेगा ताउम्र ही
फिर क्यूँ रहा ये इश्क़ नामुकम्मल,क्यूँ फना हुईं वादे की निशानियाँ
कुछ मुकद्दर ना माकूल सा रहा, कुछ फितरत में तुम्हारी वफ़ा नहीं
बनकर अश्क कतरा दर कतरा, बह गयी पलकों से सब कहानियाँ
-Anupriya Batra
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दिल में हज़ारों अरमान लिए, होंठो पर इक मुस्कान लिए
मन में तुम्हारा ध्यान लिए, आज करती हूँ तुम्हारा इंतजार
दरवाजे पर टकटकी सी लगाए,चौखट को फूलों से सजाए
हर आहट पर कान लगाए, आज करती हूँ तुम्हारा इंतजार
आंखों में काजल को लगाए ,माथे पर इक बिंदिया चमकाए
बालों में इक फूल सजाए, आज करती हूँ तुम्हारा इंतजार
मन में इक उंमग सी जगाकर, तन में इक तरंग लहराकर
अंतर्मन में बस तुम्हें बिठाकर,आज करती हूँ तुम्हारा इंतजार
-Anupriya Batra
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थोड़ी चंचल कुछ शोख होती हैं, ये नज़रों की गुस्ताखियाँ
बिन बोले ही सब कह जाती हैं, ये नज़रों की गुस्ताखियाँ
देती हैं एक मीठी सी दस्तक, दिल के बंद से दरवाजे पर
सब बंधनों को तोड़ ही देती हैं, ये नज़रों की गुस्ताखियाँ
इक ईशारा ही काफी है फक्त,नाजुक जज़्बात बहकाने को
सोया हुआ प्यार जगा ही देती हैं,ये नज़रों की गुस्ताखियाँ
कर देती हैं कलेजा छलनी, बिना किसी भी हथियार के
किसी शमशीर से कम नहीं होती,ये नज़रों की गुस्ताखियाँ
उफ़! करती हैं जुल्म बेशुमार, अपने नाज़ ओ नज़ाकत से
फिर भी सज़ा की हकदार न होती, ये नज़रों की गुस्ताखियाँ
-Anupriya Batra
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मेरी आँखों में जो मोहब्बत है,वो आईना है मेरे दिल का
मेरी सांसों में जो खुशबू है, वो गुलिस्ताँ है मेरे दिल का
जो लहरा के चमन से गुज़री,वो हवा का इक झोका हूँ मैं
जिसने महकाया तुम्हारा दिल, वो शगुफ्ता है मेरे दिल का
हर आरज़ू हमारी पूरी हो, शायद आज वो हसीन शाम है
दिलों की मुलाकात हो जहाँ, वो शबिस्तां है मेरे दिल का
मेरे दामन से जुड़ गया जो, वो कोई खास रहबर ही होगा
जो आकर बस गया है मुझमें, वो फरिश्ता है मेरे दिल का
-Anupriya Batra
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जुनून-ए-इश्क़💘
जुनून-ए-इश्क़ के दरिया में, कभी तुम भी डूब कर देखो
फिर इस तमाम दुनिया में ,कोई ख्वाहिश बाकी न रहेगी
हैं कुछ गिले कुछ शिकवे भी, इस बेकदर बेदर्द ज़माने से
जी भरके शिकायत करो ,फिर कोई रंजिश बाकी न रहेगी
सुलग रही है इक आग सीने में, कुछ जख्मों की राख तले
जलने दो ज़ख्म-ए-जिगर,फिर कोई आतिश बाकी न रहेगी
बांध लो बेशक जिस्म मेरा ,मेरी रूह को कैसे बांध सकोगे
जब रूह छोड़ देगी जिस्म, फिर कोई बंदिश बाकी न रहेगी
कर ले कोशिशें तमाम बेशक ,ज़माना अपनी मनवाने की
जब हम न रहेंगे जहाँ में,फिर कोई कोशिश बाकी न रहेगी
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Rain feels like
a shower of love
Making my heart little crazy
Rain feels like
A sizzling sensation
For my senses hitherto lazy
Rain feels like
Sprinkling of water
Making my hair little mazy
Rain feels like
Making every thing fresh
Like a new blooming Daizy
Rain feels like
A sparkling new beginning
Making my past memories hazy
-Anupriya Batra
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इतनी तंगदिली भी अच्छी नहीं, थोड़ा सा तो तू फ़य्याज़ हो
खुदा करे सदियों तक सलामत रहे, ए इश्क़ तू उम्र दराज़ हो
हाल क्या है तेरे मुरीद का,न पूछ कि हाल तो बस बेहाल ही है
इतना बेखबर भी मत बन, इस कदर भी ना हमसे नाराज़ हो
ए दिल तू कर तौबा ऐसे इश्क़ से, जो इस तरह से बेरूखी करे
हाय रे किस्मत ! क्या करें हम, जब खुद का दिल दगाबाज़ हो
है मुकद्दर में लिखी रूसवाई, तो जद्दोजहद भी किस काम की
कभी तो बदलेगा वक़्त भी, अगर मुकद्दस दिल की आवाज़ हो
है गुज़ारिश फ़क़त इतनी सी,अब अपनी संगदिली से बाज़ आ
इतनी दरियादिली तू दिखा,इश्क़ करने वालों को तुझपे नाज़ हो
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आरज़ू इतनी सी है कि, हर पल तेरा दीदार हो
इस जहाँ में समा न पाए, इतना तुमसे प्यार हो
हो खुशनुमा ये ज़िन्दगी,गर पहलू में ही बैठे रहो
लबों पे खिलेगी तबस्सुम,गर सामने तुम यार हो
बगैर लफ़्ज़ों के ही हमारी, ये गुफ्तगू चलती रहे
दिलकश सा है ये समां,काश ये आलम हर बार हो
ऐसे हमें तुम न देखो, कि धड़कन तेज़ रफ़्तार हो
शर्म से ही नज़र झुक जाती है, कैसे नजरें चार हों
है महज़ ये ख्वाब क्या ,हमको ये कुछ खबर नहीं
ख्वाब में गर इकरार हो,हकीकत में भी इज़हार हो
-Anupriya Batra
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प्रेम वंदन
मन भंवरा बनकर बावरा ,घूमे पी की गलियो में
रंग सुर्ख सा लाल खिलेगा,शर्मीली सी कलियों में
सुन सखी ये गुनगुनाहट,है ये चुलबुलाहट मन की
राग प्रीत का छिड़ा जैसे, प्रेम की अठखेलियों में
है सुहानी शाम आज,मिलन की घड़ी निकट आई
दिल की धड़कन तेज हुई है,मन उलझे पहेलियों में
आज सोलह सिंगार करूँ मैं,रूप अपना निखार लूं
बिंदिया सज गयी माथे,मेहंदी रच गयी हथेलियों में
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