Anupriya Batra  
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Joined 4 February 2019


Joined 4 February 2019
25 APR AT 18:02



जीवन क्या है?

बाल्यकाल ,युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और फिर असहाय सी वृद्धावस्था
बस हर अवस्था से गुजरकर, अंतिम चरण को पाना ही क्या जीवन है

प्रत्येक चरण की होती है एक नियमित सी, पूर्व निर्धारित सी व्यवस्था
उसे आंख मूंद कर मानते हुए , अमूल्य समय गवाना ही क्या जीवन है

क्यों भटकते हैं हम जन्म दर जन्म, आत्मा को पहनाते हुए नया चोला
एक जन्म की यात्रा पूर्ण होते, फिर से नया जन्म पाना ही क्या जीवन है

मोक्ष की कामना करते हैं हम सभी,मोक्ष का सही अर्थ कभी जाना नहीं
जीवन की चुनौतियों से घबरा,मोक्ष का दर खटखटाना ही क्या जीवन है

स्वर्ग नरक किसने देखा है बोलो ,जो है वो सब बस दुनिया में ही तो है
कर्म अनुसार मिलता है सब, पूर्व कृत्यों के फल पाना ही क्या जीवन है

ये सृष्टि सोचो कितनी विराट है, ज्ञात इसका न कोई आदि न आरम्भ है
अंततः बस एक शून्य से आना,और फिर शून्य में जाना ही क्या जीवन है

-Anupriya Batra




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21 APR AT 14:46

Keeps us going through
thick and thin

The fire within us
Gives us immense strength
To fight for life

The fire within us
Enlightens our inner soul
To live in peace

The fire within us
Brings us the positivity
Against all negativity

The fire within us
Motivates us through
The tough times

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16 APR AT 23:19

ख्वाब तुम्हारे आंखों में बसा कर, हम रात भर जन्नत में सफर करते रहे
वो वक्त भी कितना हसीन था, उसका हर लम्हा यादों में बसर करते रहे

चांद की नगरी का वो आशियाना,जिसे सितारों ने मिलकर सजाया था
जब सो रहा था यह जहाँ सारा, हम तुम्हारे साथ हसीन सफर करते रहे

तुमने जब थाम लिया हाथ मेरा, बनकर मेरे ख्यालों का एक हमसफ़र
तबस्सुम खेलने लगी लबों पर,नाजुक अहसास दिल पे असर करते रहे

कुछ पोशीदा और खामोश जज्बात ,खुद ब खुद आंखों से बयां होते रहे
बातें बहुत की पर लब खामोश रहे ,हम सिर्फ गुफ्तगू-ए-नज़र करते रहे

तन्हाई में होता है यादों का सहारा, साथ में गुज़रे हसीन पलों का सहारा
कुछ इस तरह से हम शायद, तेरी गैर मौजूदगी में ज़िंदगी गुज़र करते रहे




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14 APR AT 20:23




रात की ज़ुल्फ़ों में उलझी है, एक कहानी मेरे नादान दिल की
न सुलझी है न सुलझेगी कभी, वो कहानी मेरे नादान दिल की

बहुत पोशीदा है...पाक सी है, एक अनछुई सी छुईमुई के जैसी
जाने कितने परदों में कैद सी है, वो कहानी मेरे नादान दिल की

हर कली को ही कर दे गुलनार, अपनी अलमस्त सी शोखियों से
हया से कुछ लाल-गुलाल सी है, वो कहानी मेरे नादान दिल की

कभी- कभी मचल भी जाती है, थोड़ी सी चंचलता भी है उसमें
आखिर कब तक संभालेगी सब्र, वो कहानी मेरे नादान दिल की

बेचैन है अब वो बाहर आने को, दुनिया को सब कुछ बताने को
कब तक घुट-घुट कर जिएगी, प्रेम कहानी मेरे नादान दिल की

-Anupriya Batra



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13 APR AT 17:12

दिल के आसमान में जब चमकता, मोहब्बत का खूबसूरत सा चांद हो
एक नूर आ जाता है आंखों में, और फिर बेवजह ही मुस्कुरा देते हैं लब

सरगोशी सी घेर लेती है ख्यालों को,एक खुमारी में कहीं खो जाते हैं हम
दिन भी लगता है कुछ खोया-खोया, और कुछ गुमशुदा सी लगती है शब

बेचैनियों का आलम तो मत ही पूछो, हर लम्हा ही बेकरारी सी रहती है
किसी के आने की आहट सुनने की, कानों को भी रहती है बेहद तलब

रातों को उनके ही ख्वाब आते रहें, कोई और ख्वाब देखना न चाहें आंखें
उनसे दूर रहकर तो ये आलम है, जब होगी मुलाकात जाने क्या होगा तब

ए खुदा...मर्ज़-ए-इश्क़ न देना किसी को, ये एक लाइलाज सी बीमारी है
न तो नब्ज से ही जान पाए कोई,और हकीमों के लिए तो है ये मर्ज़ अजब

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11 APR AT 17:23

मेरे दिल की तमाम बातें, क्यों मेरा दिल ही न जाने
मेरा ही दिल क्यों कभी, मेरा कोई कहा भी न माने

या तो बहुत ही बुद्धु है, या फिर कुछ कुछ जिद्दी है
क्यों बेखबर है इतना, खुद का भला-बुरा भी न जाने

नादानियों से भरपूर है,अंजान है दुनिया की रस्मों से
चाहे लाख समझा लो , दुनिया की कोई रीत न माने

जब भी मैं सो जाती हूँ, तब भी जागता रहता है क्यों
विचारों के झंझावात से, खुद को निकालना न जाने

कुछ नाजुक है भावुक है, जज्बातों के संग बह जाए
डूब जाता है भावों की नदी में ,ये तो तैरना भी न जाने

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10 APR AT 16:40





मन की डायरी में, कुछ कहे और कुछ अनकहे से अल्फ़ाज़ हैं
कुछ सुलझी हुई सी बातें भी हैं, और कुछ उलझे हुए से राज़ हैं

कुछ अतीत के पन्नों पर, अधूरी सी ख्वाहिशें लिखी सी रह गई
उन ख्वाहिशों की एक फेहरिस्त,कहीं ज़हन में ही दफन आज है

यादों की स्याही से ही उकेरी हुई, एक तस्वीर भी पन्नों में कैद है
उस तस्वीर से ही वाबस्ता, जाने कितनी यादें मेरे पास आज हैं

वक्त बदल जाता है, लेकिन जज्बात बदल नहीं पाते कभी भी
तुम्हारे साथ बीते हुए वो लम्हे,मेरी शायरी का ही एक अंदाज़ हैं

जो मन का गीत लिखा है मैंने, इसमें तुम्हारे ही सब सुर-साज़ हैं
और जो नज़्म लिखी है मैंने, उसमें गूंजती तुम्हारी ही आवाज़ है

-Anupriya Batra











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8 APR AT 14:52





















आशा तो वह रौशनी है, जो कर दे प्रकाशित
एक हताश और निराश, दिल का हर कोना

उम्मीद पर ही कायम है, ये दुनिया यकीनन
वरना मुश्किल हो जाए, चैन से सबका सोना

हर रात होती है बेशक,आगाज़ नए सवेरे की
अंधेरे से मत डरो,उजाला अब निश्चित है होना

जीवन चक्र चलता रहे,अविरल गति से सदैव
नियम से बंधी प्रकृति,असंभव है नियम खोना

जन्म मृत्यु तो शाश्वत है, आत्मा का यही बंधन
एक जन्म के बाद, फिर नये जन्म में पैदा होना

एक जीवन पूर्ण हो , फिर नये जीवन की आस
इसी आशा से संचालित है, सृष्टि का हर कोना

Anupriya Batra



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6 APR AT 0:20



बेबसी दिल की💔

उदासियों के शहर में इस कदर, क्यूँ बसने लगा है दिल
तन्हाइयों की बस्ती में ही जाने, क्यूँ भटकने लगा है दिल

जब तक रहे वो हमारे शहर में, तब तो मुलाकात न की
बाद जाने के उनके,अब मिलने को तरसने लगा है दिल

जिसको सुनने से गूंजता था, मेरे दिल का हर एक कोना
वो एक गुमशुदा आवाज, सुनने को तरसने लगा है दिल

जिसके प्यार से खिल जाती थी, बगिया मेरे अंतर्मन की
उस माँ की गोद में सिर रख, सोने को तरसने लगा है दिल

ये जानते हैं हम ,दुनिया से जाने वाले कभी लौट नहीं पाते
फिर भी एक अंतहीन इंतज़ार में, क्यूँ तड़पने लगा है दिल

Miss you Maa😔

Anupriya Batra




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28 MAR AT 21:13

दिल का आलम कभी हम क्यों, वक्त रहते बयान कर न सके
दिल की बात होंठो पर थी,पर हम ज़िक्र-ए-जुबान कर न सके

आखिर क्या बात है कि लब, खामोशी की चादर ओढ़े रहते हैं
लफ्जों को दे दी कैद लबों में, आज़ादी का फरमान कर न सके

माना कि बहुत मुश्किल होता है, इज़हार ए मोहब्बत करीने से
कुछ खुद में ही ऐसे उलझे हम, ये मुश्किल आसान कर न सके

कुछ ज़माने की रुसवाईयों से, कुछ दिल की गहरी तन्हाईयों से
घबरा कर यूँ ही दूर भागते रहे, पूरे दिल के अरमान कर न सके

कुछ ख़्वाब देखे थे आंखों ने, वो ख़्वाब फ़कत अधूरे ही रह गए
हम अपने दिल के जज्बातों का, शिद्दत से बखान कर न सके

-Anupriya Batra





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